रांची(RANCHI): एनर्जी कारपोरेशन (परमाणु ऊर्जा विभाग) ने झाऱखंड के माइका बेल्ट में लिथियम मिलने की संभावना जतायी है, बताया जा रहा है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा कोडरमा में इसकी खोज शुरु भी कर दी है. जबकि गिरिडीह में सर्वे की तैयारी की जा रही है.
क्या है लिथियम
सफेद सोना के नाम से चर्चित लिथियम का उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक व्हीकल को चलाने वाली चार्जेबल बैटरियों के निर्माण में किया जाता है. यह बेहद हल्का और ठोस होता है. अब तक भारत इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा है. लेकिन जैसे-जैसे भारत में इसकी उपलब्धता बढ़ेगी इलेक्ट्रिक बैटरी के लिए चीन (China), जापान (Japan) और ताइवान (Taiwan) जैसे देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी, इसके साथ ही मेड इन इंडिया को भी गति मिलेगी.
खनिज संपदा के भरपूर झारखंड में लिथियम की संभावनाएं
जानकारों को मानना है कि खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में अब तक लिथियम को लेकर कोई साख सर्वे नहीं हुआ है, लेकिन अब जब पूरी दुनिया हरित भविष्य के लिए लिथियम की ओर देख रही है, झारखंड में भी इसकी खोज शुरु हो गयी है. यदि आने वाले दिनों में झारखंड के खदानों में आपको लिथियम निकलता दिखे तो यह अचरज नहीं होगी.
ऊर्जा क्षेत्रों को कार्बन मुक्त बनाने में लिथियम की भूमिका
यहां बता दें कि काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) ने अपने हालिया सर्वे में यह दावा किया है कि वर्ष 2030 तक वाहन और ऊर्जा क्षेत्रों को कार्बन मुक्त बनाने के लिए भारत को करीबन 903 गीगावॉट के ऊर्जा भंडारण की जरुरत होगी, साफ है कि यह लक्ष्य परंपरागत संसाधनों के भरोसे नहीं हासिल किया जा सकता.
भारत के हरित भविष्य के लिए लिथियम बेहद जरुरी
यदि हमें इस लक्ष्य को प्राप्त करना है तो वक्त रहते लिथियम की खोज की गति को तेज करनी होगी. भारत के हरित भविष्य के लिए लिथियम उतना महत्वपूर्ण है जितना आज तेल और गैस. जब पूरी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक कारों का बाजार बढ़ रहा है, जीरो कार्बन उत्सजर्न की बात कही जा रही है, हमें लिथियम को भंडारों पर अपना ध्यान केन्द्रीत करना होगा.
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