टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-दुर्गापूजा में शरदीय नवरात्र का बेहद ही महत्व है, रविवार से इसकी शुरुआत हो गयी है . मां के कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन से सभी भक्त उनका जोरदार स्वागत कर रहें है. नवरात्र में मां अम्बे के नौ स्वरुप की पूजा होती है. कलश स्थापन के बाद मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. जो मां दुर्गा के 9 स्वरुपों में पहले स्थान पर हैं. मान्यता है कि नवरात्र में पूरे मन से जो माता दुर्गा की पूजा अर्चना और तपस्या भक्त करते हैं, तो मां अपने भक्त की मुराद जरुर पूरी करती है. उसे हर दुख औऱ दुविधा से दूर करती है. इसके साथ ही उसकी जिंदगी में हर तरफ से सुख औऱ समृद्धि आती है.
मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्र के पहले मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, दरअसल शैलपुत्री ने कठीन तप करके भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त किया था. ऐसे में जो भी भक्त मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा के साथ-साथ उनका ध्यान करता है. तो उसके वैवाहिक जीवन में आई हर समस्या दूर होती है. उसे माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. नवारात्रि में माता के भक्त नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं जिससे मां दुर्गा अति प्रसन्न होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है.
कैलाश से धरती पर आती हैं जगदम्बे
वेद-पुरानों में बताया गया है कि मां दुर्गा 9 दिनों तक पृथ्वी में निवास करती है. हर घर में उनका वास होता है. देवी की इतनी महिमा औऱ कृपा होती कि थोड़े से श्रद्धा और भक्ति से ही खुश हो जाती है. हालांकि, इस दौरान मां के भक्तों को दुर्गा पूजा के दौरान बेहद नियम-धर्म से पूजा अर्चना करनी चाहिए. छोटी सी गलती मां दुर्गा को नाराज कर सकती है.
जानिए नवरात्र में दुर्गा पूजा के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं
1.नवारात्रि में कलश स्थापना का बेहद ही महत्व है. इसमे नारियल का इस्तेमाल किया जाता है. लिहाजा, नारियल बिल्कुल साबुत औऱ पानी से भरा वाला होना चाहिए. इसलिए एक अच्छे नारियल का चुनाव करने के बाद ही कलश में स्थापना करनी चाहिए.
2.मां दुर्गा की पूजा के दौरान अक्षत का इस्तेमाल करना जरुरी होती है. ऐसे जो अक्षत का भक्त चुनाव करते हैं. वह साबुत होना चाहिए यानि टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए.
3.मां जगदम्बे को लाल रंग का फूल बेहद पसंद होता है, उड़हूल का फूल मां को बेहद पसंद है. लिहाजा, लाल रंग के फूल ही पूजा के दौरान चढ़ाना चाहिए. मां अम्बे को कभी भूल से भी धतूरा, कनेर और मदार के फूल भक्त नहीं चढ़ाएं.
4.मां दुर्गा की पूजा जब की जाती है, तो उनके आरती का बहुत ही महत्व माना जाता है. बिना आऱती के पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसे में पाठ और मंत्रों के जाप करने के बाद मां दुर्गा की आरती जरुर करनी चाहिए.
5.नवरात्रि में मां के नौ स्वरुप की पूजा की जाती है . लिहाजा, ऐसे पूजा के दौरान माता रानी को अलग-अलग भोग बना कर खिलाना चाहिए . इस दौरान तामसिक भोजन से तो दूरी बनानी चाहिए, इसके साथ ही 9 दिनों तक भूलकर भी लहसुन, प्याज तक का भी इस्तेमाल नहीं करें.
6.नवरात्र में अगर चालिसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ रहें हैं, तो पढ़ते समय बीच में दूसरी बात बोलने या उठने की गलती नहीं करनी चाहिए. इससे पाठ का फल नाकारत्मक शक्तियां ले जाती है
7.नवरात्र में उपवास किया जाता है, इस दौरान देखा जाता है कि कोई भक्त भूख मिटाने के लए तंबाकु चबाते है. ऐसा करना सही नहीं होता. नशे से व्रत का मतलब नहीं रह जाता है.
8.जो भक्त नवरात्रि में उपवास करते हैं, तो उन्हें इस दौरान नीबू नहीं काटना चाहिए, इसके साथ ही फलहार भी एक ही जगह बैठकर करना चाहिए.
9.विष्णु पुराण के अनुसार नवरात्र के दौरान उपासक को दिन में नहीं सोना चाहिए
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