धनबाद(DHANBAD): पत्ता खड़का नहीं कि बिजली गुल. यही हाल है धनबाद कोयलांचल का. लगातार कई दिनों तक तपने के बाद मंगलवार की देर शाम बारिश हुई, बिजली कड़की, उसके बाद बत्ती गुल हो गई. आंधी भी आई थी, इस वजह से कई जगह पेड़ भी गिर गए थे. वैसे पिछले कई दिनों से कोयलांचल बिजली संकट झेल रहा है. बिजली की वजह से पानी संकट भी परवान पर है. वैसे, तो जरूरत भर लोगों को पानी मिलता नहीं है लेकिन बिजली संकट के समय स्थिति और खराब हो जाती है. रात में कोई परेशानी होने पर बिजली अधिकारी फोन नहीं उठाते है. लोग परेशानी में जब पड़ जाते हैं तो अपने लोकल जनप्रतिनिधि को फोन लगाते है. जनप्रतिनिधि भी क्या करें, परेशानी में पड़ जाते है. मंगलवार की रात बिजली कटने के बाद आधी रात के बाद कई लोगों ने विधायक राज सिन्हा को फोन किया. विधायक ने फोन रिसीव किया और लोगों की बातें सुनी. विधायक राज सिन्हा ने बिजली अधिकारियों से बात की. बिजली अधिकारियों का रोना था कि थंडरिंग हो रही है, बारिश हो रही है, ऐसे में ब्रेकडाउन हो जाता है. लाइन ट्रिप कर जा रही है. विधायक ने बिजली अधिकारियों से सवाल किया कि अब तो बरसात आने ही वाली है.
तो क्या पूरे बरसात झेलना होगा संकट
रोज यही स्थिति रहेगी तो क्या 4 महीने धनबाद के लोग इसी तरह परेशान रहेंगे. इस सवाल का जवाब तो बिजली अधिकारियों ने नहीं दिया. इस बात की पुष्टि विधायक ने भी की है. धनबाद में बिजली संकट गहराया हुआ है. धरना हुए, प्रदर्शन हुए, सब स्टेशन का घेराव हुआ ,फिर भी बिजली संकट कम नहीं रहा है. ऐसे भी धनबाद में उमस भरी गर्मी है, गर्मी से लोग परेशान है. बिजली, पानी संकट लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है. बिजली विभाग के सूत्रों का कहना है कि लाइन ट्रिप करने के बहुत सारे कारण है. दरअसल, होता यह है कि बिजली जब कटती है, तो लोग अपने घर के एसी, फ्रिज बंद नहीं करते. बिजली जब आती है तो कुछ मिनट के लिए लोड इतना अधिक बढ़ जाता है, कि लाइन ट्रिप कर जाती है. लाइन आने के 5-10 मिनट बाद अगर बिजली उपकरणों को चालू किया जाए तो बिजली लोड बर्दाश्त कर सकती है. वैसे भी धनबाद में कई जगहों पर अंडरग्राउंड केबल बिछे हुए है. अंडरग्राउंड केबल में समस्या आने पर यह बड़ी बात हो जाती है. यह बात भी सच है कि धनबाद कोयलांचल को 24 घंटे में 10 घंटे से अधिक बिजली नहीं मिल पा रही है. यह भी एक बड़ी समस्या है कि इलाके में 500 केवीए से अधिक का लोड है और वहां 200 केवीए के ट्रांसफार्मर लगे हुए है. ऐसी स्थिति में लोड बढ़ने पर खराबी आना स्वाभाविक है. जिस हिसाब से बिजली का लोड बढ़ रहा है, उस हिसाब से उपकरणों का अपग्रेडेशन नहीं किया जा रहा है.
कोयले की राजधानी है धनबाद
नतीजा सामने है. धनबाद कोयलांचल कोयले की राजधानी है. यहां का कोयला दूसरे प्रदेशों में जाता है. यहां के कोयले से दूसरे प्रदेश रोशन होते हैं ,लेकिन धनबाद खुद बिजली संकट झेलता है. आवाम की आवाज कहीं सुनी नहीं जा रही है. बिजली के आने में जो भी देर लगती हो, जाने में कोई विलंब नहीं होता. झारखंड के लोगो ने भाजपा का भी शासन देखा , फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में गठबंधन की सरकार को भी देख रहे है. न भाजपा सरकार में राहत मिली और ना गठबंधन सरकार में राहत मिल रही है. आगे भगवान ही मालिक है. जरा अंदाजा करिये घर के बाहर तेज धूप हो और घर के भीतर बिजली कटी हो, वह भी आधे घंटे से नहीं बल्कि कई घंटे से. इस हालत में घर का इनवर्टर फेल कर गया हो और घर में छोटे-छोटे बच्चे हो, तो फिर उस परिवार की क्या हालत हो रही होगी , इसका सिर्फ अंदाज ही लगाया जा सकता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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