धनबाद(DHANBAD) | कोयलांचल की मिट्टी भी अजीब है. इस इलाके का मिजाज भी कुछ अलग है. कोई भी अभियान जितने जोश -खरोश से शुरू होता है, वह धराशाई उससे भी अधिक तेज गति से होता है. माफिया और गैंगस्टर से लड़ते- लड़ते धनबाद के दुकानदार आपस में ही लड़ने लगे है. पुराना बाजार चेंबर दो टुकड़ों में बंट गया है. नव गठित चेंबर ऑफ कॉमर्स ,पुराना बाजार की शनिवार को आम सभा है तो पहले के पुराना बाजार चेंबर का चुनाव 25 जून को कराने पर सहमति बनी है. हालांकि पुराना बाजार चेंबर को लेकर उठे विवाद को खत्म कराने के लिए जिला चेंबर ने पहल की है. इसके लिए बैठक भी की गई है. इस बैठक में पुराना बाजार चेंबर का चुनाव 25 जून को कराने पर सहमति बनी है. यह बैठक दो गुटों में चल रहे विवाद के कारण बुलाई गई थी. पुराना बाजार के कारोबारियों की मांग पर चुनाव की तिथि बढ़ाई गई है. 25 जून को चेंबर के बाइलॉज के अनुसार चुनाव होगा. इसके लिए जिला के पांच पर्वेक्षक चुनाव में मौजूद रहेंगे. जिससे कि किसी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत नहीं रहे.
जिला चेम्बर से भी बढ़ सकती है टकराहट
कहा गया कि कोई भी व्यक्ति अगर पुराना बाजार चेंबर के नाम से कोई दूसरा संगठन चलाता है, तो जिला चेंबर उसे मान्यता नहीं देगा. बहरहाल जो भी हो लेकिन सबसे प्रतिष्ठित और ताकतवर पुराना बाजार चेंबर तो दो टुकड़ों में बट ही गया है. अजय नारायण लाल की खिलाफत कर नया संगठन खड़ा किया गया है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला, सब अपने-अपने पक्ष की बातें कहते है. नए संगठन के लोगों का कहना है कि चेंबर में जो भी लोग हैं, वह दुकानदार हैं जबकि पहले के संगठन में कुछ ऐसे लोग भी है , जिन्हें कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है . बहर हाल अभी कोयलांचल में जो हालात पैदा हुए हैं, उसके लिए व्यवसायियों में एकजुटता की जरूरत थी तो व्यवसायियों में ही फूट पड़ गई है. फूट क्यों पड़ी है, किसके किसके अहम टकराए हैं यह तो अलग बात है लेकिन इसका असर कारोबारियों की ताकत पर जरूर पड़ेगा. मोटर पार्ट्स कारोबारी पर फायरिंग के बाद नया बाजार की दुकानें बंद भी थी. कारोबार बंद कर विरोध किया गया था. फिलहाल कारोबारियों को धमकाकर रंगदारी वसूली जा रही है, हत्याएं हो रही है, घरों पर फायरिंग कराई जा रही है.
अभी एकजुटता की महसूस की जा रही जरुरत
ऐसे वक्त में भी व्यवसाई एकजुट नहीं रह सके. यहां यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि 80 के दशक में बैंक मोड़ के दुकानदार छोटे-छोटे रंगदारों से परेशान थे. कोई भी आता था, रंगदारी की मांग करता था. इससे आजिज आकर धनसार के लक्ष्मी नारायण ट्रस्ट स्कूल में सचमुच में मास्टर रहे भुनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ़ मास्टर साहब ने चैम्बर गठन का निर्णय लिया. उन्होंने सभी व्यवसायियों से बातचीत की और एक संगठन खड़ा किया. जब तक वह जीवित रहे, संगठन के अध्यक्ष रहे और उनकी बात दुकानदार भी मानते थे. मास्टर साहब काफी तेज तरार और लड़ाकू स्वभाव के थे. उनके निधन के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई और उसके बाद से ही विवाद में ही जन्म ले लिया. फिलहाल धनबाद जिला चेंबर के अध्यक्ष चेतन गोयनका है. उनके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है कि व्यवसायियों की एकता को फिर से कायम करे. हालांकि यह आसान काम नहीं होगा लेकिन यह तय है कि अगर व्यवसाई लड़ेंगे तो संगठन के अस्तित्व पर संकट पैदा हो जाएगा और धीरे-धीरे चेंबर कमजोर होता जाएगा.
धनबाद में चेंबर में गठन की कहानी भी बहुत ही रोचक और दिलचस्प है.
भुनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब ने डाली थी नींव
भुनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब ने जरूर इसकी नीव डाली लेकिन इसकी शुरुआत तब हुई जब वासेपुर के ही एक रंगदार ने ऐसा कृत्य किया, जिससे सारे कारोबारी उद्वेलित हो गए. कहा जाता है कि 1982 के आसपास राजेंद्र मार्केट की एक दुकान में काउंटर पर शीशे के गिलास में गुलाब का फूल रखा हुआ था. वासेपुर का एक रंगदार पहुंचा और गुलाब के फूल की मांग कर दी. उस समय उस दुकान के मैनेजर कांति भाई और दिनेश भाई हुआ करते थे. गुलाब देने से मना करने पर रंगदार ने अपने आदमियों के साथ दोनों की दुकान से खींच कर पिटाई कर दी. इस घटना से मास्टर साहब इतने अधिक विचलित हुए कि उन्होंने व्यवसायियों की एकता के लिए प्रयास शुरू कर दिया और इसमें सफल भी रहे. लेकिन फिलहाल जो लोग चेंबर के पदाधिकारी ,बुजुर्ग और संरक्षक के पद पर हैं, उनके ऊपर भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि वह मास्टर साहब के इस उल्लेखनीय कृत्य को टूटने से रोक ले . व्यवसाई अगर बिखर जाएंगे तो फिर परेशानी उन्हीं को होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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