धनबाद(DHANBAD):बीजेपी की गारंटी वाली सीट धनबाद लोकसभा क्षेत्र फिलहाल होल्ड पर है. दावेदारों की धड़कनें घड़ी की सुई के अनुसार तेज हो रही है. अगला 24 से लेकर 36 घंटा धनबाद सीट पर उम्मीदवार की घोषणा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.वैसे गुरुवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष धनबाद में हैं और बैठक कर रहे हैं.6 मार्च को दिल्ली में होने वाली चुनाव समिति की बैठक टल गई है, और अब यह 8 मार्च को निर्धारित की गई है. धनबाद के चौक चौराहों पर यह चर्चा तेज है कि वर्तमान सांसद पशुपतिनाथ सिंह को पार्टी कंटिन्यू करेगी अथवा बदलेगी. पशुपतिनाथ सिंह की जगह किसे टिकट मिलेगा, इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है.
टिकट के लिए पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल भी दौड़ धूप कर रहे हैं
एक सूत्र का कहना है धनबाद, बोकारो के विधायक जोर लगाए हुए हैं तो पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल भी दौड़ धूप कर रहे हैं. इधर यह भी चर्चा है कि समरेश सिंह की बहू भी रेस में आ गई है. तो कोडरमा के पूर्व सांसद रविंद्र राय का भी नाम उछल रहा है. हजारीबाग लोकसभा सीट पर जयंत सिन्हा का टिकट काटकर वहां विधायक मनीष जायसवाल को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. हजारीबाग में पार्टी के निर्णय से धनबाद, बोकारो के विधायक उत्साहित जरूर है, लेकिन इनका यह उत्साह विश्वास में कम है. इतना तो तय है कि धनबाद सीट पर यदि उम्र की वजह से पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटता है, तो किसी फारवर्ड क्लास को ही धनबाद से टिकट मिलेगा. चुकी ओबीसी कैंडिडेट होने से कम से कम धनबाद में पार्टी को नुकसान हो सकता है. वैसे झारखंड के 11 सीटों पर बीजेपी ने जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें सिर्फ निशिकांत दुबे ही फारवर्ड क्लास से आते हैं .ऐसे में अगर पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटता है तो निश्चित रूप से किसी न किसी फॉरवर्ड कास्ट को ही यह टिकट मिल सकता है.
1991 से, यदि 2004 को छोड़ दिया जाए तो धनबाद सीट से बीजेपी जीतती रही है
वैसे धनबाद बीजेपी की गारंटी वाली सीट कही जाती है. 1991 से, यदि 2004 को छोड़ दिया जाए तो धनबाद सीट से बीजेपी जीतती रही है. 2004 में कांग्रेस के ददई दुबे धनबाद से सांसद चुने गए थे. उसके बाद से लगातार तीन बार पशुपतिनाथ सिंह धनबाद से सांसद रहे हैं. कहा तो यह भी जाता है कि होल्ड पर रखे गए चतरा सीट पर यदि किसी राजपूत उम्मीदवार का चयन होता है तो धनबाद सीट पर उम्मीदवारी पशुपतिनाथ सिंह से छीन सकती है और फिर यहां किसी दूसरे उम्मीदवार का चयन पार्टी कर सकती है. वैसे बीजेपी का निर्णय हमेशा चौंकाने वाला हुआ है. इसलिए भी कोई यह कहने की स्थिति में है कि धनबाद लोकसभा से किसको टिकट मिलेगा. वैसे धनबाद सीट को होल्ड पर रखने का यही मतलब निकाला जा रहा है कि कुछ ना कुछ मामला है, जिसकी वजह से धनबाद जैसे सीट को होल्ड पर रखा गया है. निर्णय चौंकाने वाला हो सकता है.
हजारीबाग के उदाहरण को धनबाद में रिपीट भी किया जा सकता है
राजनीतिक पंडित यह भी बताते हैं कि हजारीबाग के उदाहरण को धनबाद में रिपीट भी किया जा सकता है. वैसे धनबाद ,बोकारो के विधायक अभी भी उम्मीदवारी की आस छोड़े हुए नहीं है.2019 के चुनाव में धनबाद लोकसभा सीट से पशुपतिनाथ सिंह रिकॉर्ड मतों से विजय हुए थे .इसके बाद से ही धनबाद सीट को भाजपा गारंटी वाली सीट मनाती रही है. लेकिन इस बार उम्मीदवार के चयन में किस गुणा भाग पर , ज़ोर दिया जा रहा है, यह दावेदार भी नहीं समझ पा रहे हैं. वैसे धनबाद में उम्मीदवारी को लेकर लोगों में बेचैनी बढ़ी हुई है. धनबाद भाजपा महानगर कमेटी में बदलाव किया गया है और महानगर अध्यक्ष ओबीसी को बनाया गया है. इसके पीछे भी कोई कारण है अथवा बदलाव के कारण बदला गया है. पार्टी के लोकल स्तर के नेता यह भी नहीं समझ पा रहे हैं .कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि धनबाद में या तो पशुपति नाथ सिंह कंटीन्यू करेंगे या फिर कोई फॉरवर्ड क्लास का उम्मीदवार ही यहां से चुनाव लड़ेगा. लेकिन यह सब कयास हैं .भाजपा में हमेशा चौंकाने वाले निर्णय होते हैं. इसलिए भी किसी को घोषणा के पहले कुछ भरोसा नहीं हो रहा है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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