धनबाद(DHANBAD): लगभग एक दशक बाद बुधवार को धनबाद में अभूतपूर्व कारोबारी बंदी हुई. धनबाद के कारोबारी सड़क पर उतरकर सुरक्षा मांग रहे है. सरकार और प्रशासन से "चिरौरी" कर रहे हैं कि उनकी सुरक्षा की ठोस व्यवस्था की जाए. फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने भी धनबाद में बिगड़ती कानून- व्यवस्था को गंभीरता से लिया है. झारखंड चैंबर ने भी धनबाद में अनिश्चितकालीन बंदी का समर्थन किया है. चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोरी मंत्री ने बुधवार को रांची में कहा कि व्यापारियों के हित में राज्य के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक तत्काल कड़े कदम उठाये. मांग की गई कि धनबाद में अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी एटीएस को दे दिया जाए. दूसरा विकल्प भी दिया कि राज्य सरकार धनबाद की कानून- व्यवस्था को ठीक रखने के लिए एसपी रैंक एक अधिकारी को विशेष रूप से तैनात करे. जिनकी जिम्मेवारी रहेगी, कानून व्यवस्था को काबू में रखना.
कारोबारियों का मनोबल टूट गया है
रांची चैम्बर ने कहा कि गिरती कानून -व्यवस्था से कारोबारियों का मनोबल टूट गया है. अब वह कारोबार करने से डर रहे है. यह गंभीर मामला है, इसे राज्य सरकार को भी नुकसान होगा और अगर धनबाद के लोगो को को सुरक्षा नहीं मिलती है तो पूरे झारखंड के व्यवसायी भी अनिश्चितकालीन बंदी की ओर बढ़ सकते है. तब यह विकट स्थिति सरकार के सामने पैदा हो जाएगी. फेडरेशन आफ झारखंड चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज के लोगों ने कहा कि व्यापारी वर्ग कभी बंदी के समर्थन में नहीं होता है. बंदी उनके लिए अंतिम हथियार है. व्यापार करना उनका सिर्फ पेशा ही नहीं, बल्कि धर्म होता है. सरकार को भी से राजस्व की प्राप्ति होती है. सरकार को यह सोचना चाहिए कि धनबाद के व्यापारी आखिर अंतिम अस्त्र का उपयोग क्यों कर रहे हैं? उन्हें क्यों नहीं सरकार सुरक्षा दे रही है?
समीर हुसैन की रिपोर्ट
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