धनबाद(DHANBAD): धनबाद के बरोरा और मधुबन थाना क्षेत्र में गुरुवार को कोयला चोरों और सीआईएसएफ के बीच कम से कम तीन बार भिड़ंत हुई. पहली घटना सुबह 8:00 बजे हुई, उसके बाद 10:00 घटना हुई, फिर अपराहन 3:00 बजे के बाद भिड़ंत हुई. बचने के लिए जवानों को फायरिंग करनी पड़ी. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. कोयला चोरों के हमले से सीआईएसएफ की एक महिला हेड कांस्टेबल सहित आधा दर्जन जवान घायल हो गए हैं. चर्चा यह भी है कि सीआईएसएफ की गोली से एक ग्रामीण घायल हुआ है ,हालांकि इसकी भी पुष्टि नहीं की जा रही है. अपराहन 3:00 बजे के बाद जब CISF के जवान फ्लैग मार्च पर थे तो पीछे से आकर सीआईएसएफ के जवानों पर ग्रामीणों ने हमला बोल दिया. इस वक्त कम से कम आधा दर्जन से अधिक राउंड फायरिंग की बात कही जा रही है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. रात 9:00 बजे के लगभग सीआईएसएफ के अधिकारी थाना पहुंचे हुए हैं, वह अपनी लिखित शिकायत दर्ज कराने गए हैं .
सीआईएसएफ ने आत्मरक्षा में फायरिंग की
जानकारी के अनुसार रोज की भांति आज भी कोयला चोर कोयला काट रहे थे. सीआईएसएफ के जवान ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो पत्थरबाजी की गई. उसके बाद जवान हट गए फिर 10:00 बजे के लगभग जवान पहुंचे तो फिर उन पर हमला किया गया. उनकी वर्दी फाड़ने की कोशिश की गई. इसी समय सीआईएसएफ ने आत्मरक्षा में फायरिंग की, जिसमें एक ग्रामीण को गोली लगने की चर्चा है. उसके बाद वरोरा, मधुबन और बाघमारा पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया. उसके बाद सीआईएसएफ के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे. घायल जवानों का इलाज अस्पताल में कराया गया. कम से कम एक महिला अधिकारी सहित दो लोगों को बेहतर इलाज के लिए धनबाद के सेंट्रल अस्पताल में रेफर किया गया है.
सूचना के अनुसार सुबह 10:00 बजे की घटना को सीआईएसएफ ने गंभीरता से लिया और उसके बाद तय किया गया कि इलाके में फ्लैग मार्च निकाला जाए. फ्लैग मार्च जब अपराहन 3:00 बजे के बाद मधुबन थाना क्षेत्र के आशा कोठी से गुजर रहा था तो ग्रामीणों का दल पीछे से पत्थरबाजी शुरू कर दी. ग्रामीणों से घिरता देख जवानों ने फायरिंग की, उसके बाद भगदड़ मच गई. जान बचाने के लिए जवान भी इधर-उधर भागे. इधर ग्रामीण पत्थरबाजी करते रहे. बाद में फिर जवानों को एक जगह इकट्ठा किया गया और उनकी गिनती कराई गई. इस घटना को सीआईएसएफ ने गंभीरता से लिया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे कोयला चोरी रोकने की कौन सी रणनीति बनती है. आपको बता दें कि ग्रामीण तो मोहरा होते हैं असली काम तो रिमोट से कोयला चोरी का धंधा कराने वाले सफेदपोश होते हैं. जब तक पुलिस अथवा सीआईएसएफ रिमोट से कोयला चोरी कराने वालो पर सख्त कार्रवाई नहीं करते, तब तक यह नहीं रुक सकता. हालाकि BCCL ने सख्त कदम उठाए हैं. सीआईएसएफ को सक्रिय किया गया है लेकिन कोयला चोरी में लगे ग्रामीण इतने दबंग है कि वह किसी से भी टकराने की ताकत इकट्ठा कर लिए हैं. उनकी ताकत का असली वजह रिमोट से काम करने वालों की संजीवनी होती है. जब तक संजीवनी देने वालों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाएगा, तब तक इसी तरह हमले होते रहेंगे.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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