DHANBAD: राय दा को कभी नहीं भूल सकता धनबाद, जानिए क्यों
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धनबाद (DHANBAD): मार्क्सवादी चिंतक, पूर्व सांसद एके राय की तीसरी पुण्यतिथि आज है. उन्हें जानने वाला शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा, जो उनकी सादगी से परिचित न हो. जिस कमरे में वह बैठते थे, आज भी वह उसी तरह, उसी स्थान पर हैं, किताबें अपनी जगह पर, आने जाने का रास्ता भी वही है. सालों तक उनके साथ रहने वाले आज भी उनके विचारों के साथ जी रहे हैं.
तीन बार विधायक, तीन बार सांसद रहे एके राय लकड़ी की कुर्सी पर ही बैठते थे. रोजाना सुबह में पार्टी कार्यालय में आकर उसकी सफाई करना, अखबार पढ़ना, किताबों की दुनिया में रहना और राजनीति पर चिंतन करना, साथ ही रोजाना पार्टी के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना उनके रूटीन में शामिल था. उनका मानना था कि मजदूर का विकास ही, देश का विकास है और यही कारण है कि वह हमेशा मजदूरों के हक की लड़ाई के लिए अग्रसर रहते थे. ऑफिस की देखभाल करने वाले रामलाल ने बताया उनके कार्यालय में न ही बिजली का कनेक्शन था और न ही जहां वह सोते थे, उस कमरे में पंखा. हवा के लिए खिड़की और रोशनी के लिए खपड़े की छत के बीच में सफेद चदरा और जमीन पर एक चटाई. और यही वजह थी कि उन्हें लोग उनके सरल स्वभाव के लिए जानते थे.

निजीकरण का विरोध करते थे राय दा
MCC पार्टी के जनरल सेक्रेटरी हलधर महतो ने बताया कि मजदूरों के हक की लड़ाई के लिए ही आज भी लोग उन्हें याद करते हैं. लोग उस पथ पर अग्रसर है. एके राय ने अनेक किताब लिखी. उन्होंने शुरू से निजीकरण का विरोध किया था.
रिपोर्ट: शांभवी सिंह, धनबाद
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