धनबाद(DHANBAD): क्या धनबाद भाजपा में चुनाव परिणाम के पहले तल्खी बढ़ने लगी है? क्या भाजपा के पुराने और नए कार्यकर्ताओं का अलग-अलग गुट हो गया है ?क्या धनबाद लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में अभी से गोलबंदी शुरू हो गई है? यह सब ऐसे प्रश्न है, जिन का उत्तर तो 4 जून के बाद ही मिलेगा ,कार्यकर्ताओ की वफादारी किस ओर यह दिखेगी भी. लेकिन सोशल मीडिया पर इस तरह के कमेंट देखने को मिलने लगे है. धनबाद में बिजली और पानी संकट के बहाने भाजपाई एक दूसरे पर निशाना साध रहे है. कुछ लोग निवर्तमान सांसद पशुपतिनाथ सिंह और विधायक राज सिन्हा को इशारों -इशारों में निशाने पर ले रहे हैं तो कई लोग भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी कर रहे है. यह सब हो रहा है इशारों -इशारों में. बात शुरू होती है भाजपा के नेता के एक पोस्ट से. उन्होंने लिखा है कि इंद्रदेव अपना काम बखूबी कर रहे हैं, जनता बिजली- पानी के लिए जिसे 10 साल से चुनकर रखा है, वह अपने घर में आराम फरमा रहे है. यह निशाना शायद विधायक राज सिन्हा की ओर है.
प्रतिक्रियाएँ इशारों -इशारों में है लेकिन मतलब साफ़ है
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा है कि -जनता वोट मोदी जी को देती है, प्रत्याशी को नहीं. फिर एक और व्यक्ति का कमेंट है- 15 साल वाला जो धनबाद का प्रत्याशी है, वह कहां सुत गए हैं, जीतेंगे तभी कुछ करेंगे. यह प्रतिक्रिया शायद विधायक ढुल्लू महतो की ओर है. एक और यूजर का कमेंट है कि एक साफ़ हो गया, दूसरा भी 5 महीने के बाद साफ हो जाएगा. यह चाचा, भतीजा ही धनबाद के लिए ग्रहण है. चाचा के बाद अब भतीजे का नंबर है. सारी प्रतिक्रियाएं लिखने वालों ने इशारों इशारों में दी है, लेकिन मामला स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में एक गुट सक्रिय है तो दूसरा अभी भी निवर्तमान सांसद पशुपतिनाथ सिंह के साथ है. कमेंट से ऐसा लगता है कि सभी भाजपा से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष ढंग से जुड़े हुए है. यह अलग बात है कि पशुपतिनाथ सिंह 2024 में टिकट कटने के बाद अब भाजपा से धीरे-धीरे कटते चले जाएंगे ,लेकिन विधायक राज सिन्हा की राजनीति तो अभी आगे भी चलेगी, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए. ढुल्लू महतो भी जीतते है तो और सक्रिय होंगे.
जो लोग कल तक निवर्तमान सांसद के आगे पीछे थे,बदलने लगे है
इधर, यह बात भी सच है कि जो लोग कल तक निवर्तमान सांसद के आगे पीछे थे, उन्हें खुद का अभिभावक बता रहे थे, आज वह दूसरे खेमे में सक्रिय हो गए है. सवाल तो उठने शुरू हो ही गए है कि पशुपतिनाथ सिंह के बाद धनबाद में भाजपा किधर? कार्यकर्ता भी गणित बैठा रहे हैं तो नेता भी हिसाब लगा रहे है. वैसे, आमतौर पर माना यही जा रहा है कि धनबाद लोकसभा सीट से अगर भाजपा जितती है तो पूरे जिले की भाजपा की चाबी सांसद के पास होगी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर भाजपा के अलग-अलग विधानसभाओं में अलग-अलग क्षत्रप तैयार होंगे. वैसे यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के जीत के बाद भी कई इलाकों में क्षत्रप तैयार होंगे और वह अपने ढंग की राजनीति करेंगे. वैसे 4 जून को परिणाम आने के बाद ही सब कुछ साफ होगा, लेकिन इतना तो तय है कि धनबाद जिले में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में क्षत्रप तैयार होने शुरू हो गए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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