देवघर(DEOGHAR): देवघर के किसान सुखाड़ से अभी तक उबरे भी नहीं थे कि अब यहां के पशुपालक किसानो को बकरी के मरने की मार झेलन पड़ रहा है. दरअसल, देवीपुर प्रखंड के कोल्हड़िया गांव में इन दिनों बड़ी संख्या में बकरी की मौत हो रही है. इन बकरियों को पीपीआर बीमारी हो गई है. आसान भाषा में इसे प्लेग कहते हैं. कोल्हड़िया गांव के दर्जनों ऐसे पशुपालक किसान हैं जिनकी बकरियां मर चुकी है. इतनी तेजी से फैल रहे इस बीमारी से आसपास गांव के बकरियां भी इसके चपेट में आ गई है. किसी तरह किसानों द्वारा बकरी को खरीद कर उसे पाला जा रहा था. लेकिन बीमारी से मर रही बकरियों ने किसानों की कमर तोड़ दी है. लगभग 10 लाख से अधिक मूल्य की सैकड़ों बकरियां अभी तक गांव में मर चुकी है.
टीम गठित कर बकरियों की जांच की जा रही
पशुपालकों द्वारा इसकी सूचना पशु चिकित्सा को दी गई. आनन-फानन में पशु चिकित्सक द्वारा एक टीम का गठन किया गया और गांव में जाकर कैम्प लगाकर बकरियों की जांच शुरू कर दी गई है. पशु चिकित्सक डॉ विजय कुमार के अनुसार बकरियों में फैल चुकी इस महामारी की रोकथाम के लिए टीका कामगर नहीं होगा. अब चिकित्सा के माध्यम से ही बची हुई बकरियों का इलाज किया जाएगा. अपने बकरियों से हाथ धो बैठे पशुपालक सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. कृषि सहकारिता पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख का गृह जिला होने के कारण पशुपालकों में सरकार द्वारा मुआवजे मिलने की उम्मीद है. अब देखना होगा की सरकार इस ओर क्या कदम उठाती है. बकरियों में फैलने वाले मुंहपका और खुरपका यानि पीपीआर रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जाता है. लेकिन इस गांव की हालत देख स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर
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