देवघर(DEOGHAR): राज्य सरकार डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद करने की पहल कर रही है. इससे पहले इंटरमीडिएट कॉलेज और प्लस टू स्कूलों में उपलब्ध व्यवस्था का आकलन सरकार द्वारा की जाएगी. ताकि नई व्यवस्था से विद्यार्थियों को कोई परेशानी ना हो. किसी भी राज्य का विकास वहां के शिक्षा पर भी निर्भर करता है. ऐसे में झारखंड राज्य में शिक्षा की क्या स्थिति है आप सिर्फ देवघर की स्थिति से ही अंदाजा लगा सकते हैं.
देवघर में शिक्षा व्यवस्था
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देवघर में 10+2 विद्यालयों की कुल संख्या 34 है. इसके अलावा 2 स्कूल स्थापना समिति द्वारा संचालित है. वैसे तो प्लस टू उच्च विद्यालय के स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों की कुल संख्या 83 है जबकि इन 34 स्कूलों में 14556 विद्यार्थी नामांकित है. यानी कि लगभग 176 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक के जरिए पढ़ाई संचालित हो रही है. देवघर जिले में प्लस टू विद्यालयो के स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों के विषय वार सूची इस प्रकार है
बायोलॉजी में 8
केमिस्ट्री में 7
कॉमर्स में 9
इकोनॉमिक्स में 10
इंग्लिश में 6
जियोग्राफी में 9
हिंदी में 8
हिस्ट्री में 10
मैथ में 3
फिजिक्स में 4
और संस्कृत में 9 सरकारी शिक्षक जिला में पदस्थापित हैं.
कई स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं
इन 83 शिक्षकों के द्वारा 34 विद्यालयों में पढ़ाई संचालित हो रहा है. सबसे अधिक सारवां प्लस टू विद्यालय में 10 शिक्षक है जहां 1458 विद्यार्थी नामांकित है. वही मधुपुर में 773 बच्चे पर 10 शिक्षक मौजूद हैं. जिले का सबसे प्रतिष्ठित आर मित्रा प्लस टू उच्च विद्यालय में 1362 विद्यार्थियों पर मात्र 9 शिक्षक ही हैं. अन्य विद्यालयों की बात करें तो मानिकपुर, रोहिणी, मातृ मंदिर बालिका, तपोवन, झालर, चुल्हिया, घोरमारा, जगदीशपुर, चितरा, सिलगड़िया और सरसा प्लस टू विद्यालय जिला में ऐसे हैं जहां एक भी सरकारी शिक्षक नहीं है और इन विद्यालयों में कुल 1963 विद्यार्थी नामांकित है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे होगी यह एक सवाल है. अगर सरकार डिग्री कॉलेजों की जगह पर प्लस टू हाई स्कूल में इंटरमीडिएट की पढ़ाई शुरू करेगी तो उन्हें कई परेशानियों से गुजरना होगा. प्रत्येक स्कूल में विषयवार शिक्षक की नियुक्ति आवश्यक है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर
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