देवघर(DEOGHAR): किसी भी राज्य के मरीजों के लिए ऐम्स पहली जरूरत होती है. इसके स्थापित होने से चिकित्सा की बेहतर सुविधाएं मुहैया होती है. इसके अलावा ऐम्स के संचालन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं. साथ ही साथ क्षेत्र का भी विकास होता है. रोजगार को लेकर देवघर ऐम्स प्रबंधन की उदासीनता के खिलाफ आज धरना दिया गया. ऐम्स मेन गेट के समक्ष विस्थापित और स्थानीय लोगों ने अपने हक़ के लिए आवाज बुलंद करते हुए धरना प्रदर्शन किया गया. बड़ी संख्या में मौजूद स्थानीय लोगों ने ऐम्स प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.
बाहरी से पहले विस्थापितों को नौकरी मिले
झारखंड का एक मात्र ऐम्स देवघर के देवीपुर में संचालित हो रहा है. ऐम्स के पास लगभग 250 एकड़ जमीन है।यह जमीन सरकारी सहित स्थानीय लोगों की है. स्थानीय लोगों से सरकार ने जमीन अधिग्रहित किया है जिसमें बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं. इन विस्थापितों ने यह सोचकर अपनी जमीन दी थी कि इन्हें ऐम्स में नौकरी मिलेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. स्थानीय विस्थापितों का आरोप है कि जब से ऐम्स का स्थापना हुआ है उसदिन से आज तक इन्हें नौकरी नहीं दी गयी है और न ही किसी स्थानीय को.
विस्थापितों का मानना है कि जो भी बहाली अभी तक हुई है सभी बाहरी है. स्थानीय नेता अनंत मिश्रा ने बताया कि झारखंड सरकार के नियमानुसार 75 प्रतिशत स्थानीय व्यक्तियों को नौकरी देना है लेकिन ऐम्स प्रबंधन मनमानी कर बाहरी लोगों को नियुक्त कर रही है जो सरासर गलत है. इनके द्वारा मांग की गई है कि ऐम्स में पहले विस्थापितों को नौकरी में प्राथमिकता देनी होगी. इसके बाद स्थानीय को बाद में बाहरी लोगों को नौकरी मिले. इनकी मांग में सहयोग करने के लिए झारखंड सरकार से हस्तक्षेप करने की बात कही जा रही है. विस्थापितों की माने तो अगर ऐम्स प्रबंधन जल्द ही इन्हें नौकरी नही उपलब्ध करायेगी तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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