TNPDESK: रमज़ान का महीना इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र है. जहां रमज़ान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय में छोटे बच्चे सें बड़े सभी रोज़ा रखते है. रोजा कई मायने में काफी अहम माना जाता है. रोज़ा रखने वाले पूरे 15 घण्टें न कुछ खाते है और न ही कुछ पीते है. वहीं जब शाम में इफ्तार का समय होता है तब इफ्तार में खजूर जरुर होती है. खजूर खाकर ही रोज़ा खोला जाता है. इसलिए रमज़ान के रोज़ा में खजूर का महत्व काफी अधिक होता है. अगर हम इस्लामिक और विज्ञानिक दृष्टि से देखे तो खजूर काफी फायदेमंद है. तो फिर आइये जानते हैं कि आखिरकार खजूर खाकर ही रोज़ा क्यों खोला जाता है?
रमज़ान में खजूर के इस्लामिक मान्यता
रमज़ान में इस्लामिक मान्यताओं की मानें तो खजूर खा कर ही रोज़ा खोला जाता है. खजूर से रोजा खोलना पैगंबर की सुन्नत भी माना जाता है. कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद का पसंदीदा फल खजूर था. और वो रमज़ान में खजूर खाकर ही रोज़ा खोलते थे. इसीलिए मुस्लिम धर्म के लोग रोज़ा खोलने के लिए सबसे पहले खजूर का इस्तेमाल जरुर करते हैं. बता दें कि इस्लाम धर्म में पैगंबर हजरत मोहम्मद के बताए गए रास्तें पर चलने को सुन्नत कहा जाता है.
खजूर के विज्ञानिक मान्यता
सेहत के लिए भी खजूर बेहद फायदेमंद हैं. खजूर को खाली पेट खाने से स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं होता है. बल्कि कई फ़ायदे ही होते है. मालूम हो कि उपवास के तुरंत बाद खजूर खाने से खजूर शरीर में ऊर्जा देता हैं. साथ ही खजूर को पाचन शक्ति के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है. दरसल खजूर में फाइबर पाया जाता है इससे पाचन ठीक रहता है और जिन लोगों को गैस और एसिडिटी की समस्या होती है उन लोगों के लिए खजूर बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है. और वहीं खजूर में एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक एवं एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो सूजन को कम करने का काम करता है. वहीं जब रमज़ान के महीने में दिन भर खाना नहीं खाने और लंबे समय तक भूखे रहने से पेट में सूजन जैसी परेशानी हो सकती हैं. इसलिए घंटों खाली पेट रहने के बाद खजूर खाने के कई फ़ायदे होते हैं.
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