दुमका(DUMKA):दुमका में शनिवार को दिहाड़ी मजदूरों ने दुमका-पाकुड़ मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. मजदूरों का कहना था कि उनकी दैनिक मजदूरी 4 सौ निर्धारित है. लोग काम करवा लेने के बाद जब मजदूरी की बात आती है, तो उन्हें महज 350 देते है. मजदूर जब इसका विरोध करते है तो उसके साथ बदसलूकी की जाती है.
कम मजदूरी और बदसलूकी के विरोध में मजदूरों ने किया सड़क जाम
वहीं मजदूरों का कहना है कि दुमका में पश्चिम बंगाल स्थित मुर्शिदाबाद के काफी लोग मजदूरी करने के उद्देश्य से यहां रहते हैं. जो कम मजदूरी पर भी काम करने के लिए तैयार रहते हैं. जिसकी वहज से काम कराने वाले लोग बाहर के मजदूरों से काम करा लेते हैं. इसका खामियाजा स्थानीय मजदूरों को भुगतना पड़ता है. दिन भर मजदूरी की आश में चौक-चौराहे पर खड़ा रहने के बाद भी जब उन्हें काम नहीं मिलता तो निराश होकर खाली हाथ लौट जाते हैं.
सीओ ने समझा-बुझाकर हटवाया जाम
इसी के विरोध में 3 जून को मजदूरों ने सड़क जाम कर इसका विरोध जताया. वहीं सूचना मिलने के बाद सीओ यामुन रविदास मौके पर पहुंचे और मजदूरों को समझा कर सड़क जाम हटवाया. वहीं जब अंचलाधिकारी ने मजदूरों से गांव में मनरेगा में मजदूरी करने की बात कही तो मजदूरों ने कहा कि मनरेगा के अधिकांश काम मशीन से कराया जाता है. इसलिए लोगों को काम नहीं मिलता है. जिस पर सीओ ने जांच करने की बात कही.
सीओ ने कार्रवाई की कही बात
साथ ही सीओ ने कहा कि दो बिंदुओं पर मजदूरों ने आवेदन दिया गया है. जिसे डीसी के पास भेजा जाएगा. वरीय अधिकारी के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी. बाहरी मजदूरों से कम लिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार का प्रावधान है कि 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाए. इसके आधार पर स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जाएगा.
रिपोर्ट-पंचम झा
4+