रांची(RANCHI): लोकसभा चुनाव में कई मुद्दे है.सभी पार्टी विभिन्न मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रही है. तो वहीं कांग्रेस सरना धर्म कोड के मुद्दे को सूबे में भुनाने में लगी है. कांग्रेस की सभी चुनावी सभा में सरना धर्म कोड पर जोर दिया जा रहा है. चाहे राहुल गांधी की सभा को देखे या फिर रांची में प्रियंका गांधी की,सभी ने मंच से सरना धर्म कोड को लेकर भाजपा पर निशाना साधा. साथ ही एक वादा किया कि जब इंडी की सरकार बनेगी तो इस कोड को मान्यता दी जाएगी.
आदिवासियों की मांग है सरना धर्म कोड
दरअसल सरना धर्म कोड झारखंड के आदिवासियों की मांग है. जब से झारखंड गठन हुआ उसे बाद से ही सरना धर्म कोड को पास कर कानून बनाने की मांग उठती रही है. इस बीच हेमन्त सोरेन की सरकार बनी तो सरना धर्म कोड को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा गया. बाद में केंद्र सरकार के पास लंबे समय से यह बिल लटका हुआ है. जिसे कानून की शक्ल देने की मांग को लेकर रांची से दिल्ली तक आदिवासी समुदाय के लोगों ने आंदोलन किया है. इन सब के बावजूद इस बिल पर कोई पहल नहीं हुई. अब फिर चुनाव है,सभी नेता अपने वादों का पिटारा लेकर पहुंच गए है.
राहुल गांधी ने भी सरना धर्म कोड लागू करने की कही बात
जब गुमला और कोल्हान में राहुल गांधी की चुनावी सभा हुई तो इस रैली में खुद राहुल ने वादा किया कि जैसे ही सरकार बनेगी सरना धर्म कोड को पास किया जाएगा. साथ ही राहुल गांधी ने भाजपा पर कई हमले आदिवासी समाज को लेकर बोला था. कांग्रेस के नेताओं को भी साफ मालूम है कि जब तक झारखंड के आदिवासियों का साथ नहीं मिला परिणाम अच्छा नहीं होगा.
झारखंड में 28 प्रतिशत है आदिवासियों की संख्या
अगर बात झारखंड में आदिवासियों की संख्या की करें तो करीब 28 प्रतिशत है. आदिवासियों का साथ चुनाव में जिस भी तरफ हुआ. परिणाम बदलने के लिए काफी है. यही वजह है कि आदिवासियों के मुद्दे पर कांग्रेस वादा कर रही है.
रिपोर्ट. समीर हुसैन
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