हाथियों के उत्पाद से परेशान ग्रामीणों के बीच सरकार ने बांटा 27 लाख से अधिक मुआवजा


सिमडेगा (SIMDEGA) : सिमडेगा के कोलेबिरा इलाके में हाथियों का उत्पाद कोई नई बात नहीं है। आए दिन ग्रामीण इनके आने से परेशान रहते हैं। फसल बर्बाद हो जाती है। घर टूट जाता है। हाथियों के कुचले जाने के कारण मौत भी हो चुकी है। वन विभाग की ओर से आज ऐसे पीड़ित और प्रभावितों के बीच 257520 की रकम बतौर मुआवजा बांटी गई। करीब 44 लोगों के बीच मुआवजा राशि का वितरण किया गया. बीते वर्षों में जलडेगा प्रखंड के विभिन्न गांव में ग्रामीणों के फसलों और मकानों को जंगली हाथियों ने क्षति पहुंचाई थी. जिसका मुआवजा दिया गया.
क्षति राशि के मुआवजा का आवेदन
गौरतलब है कि 44 प्रभावित ग्रामीणों ने क्षति राशि के मुआवजा के लिए आवेदन दिया था था. इससे पहले पंचायत भवन परबा में सभी प्रभावित ग्रामीण लाभुकों की खाते की जांच की गई. जिसके बाद लाभुकों के खाता में मुआवजा राशि डाली गई. इस मौके पर वनकर्मियों ने सभी ग्रामीणों से नशे से दूर रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा घर पर मादक पदार्थ नहीं रखें. इससे हाथी आकर्षित होकर घर में हमला करते हैं. उन्होंने ग्रामीणों को हाथी से बचने के तरीके भी बताए मौके पर मुखिया विमला देवी व वन कर्मी मौजूद थे.
जानिये झारखंड में हाथियों से नुकसान के आंकड़े
झारखंड में हाथियों के कारण हर वर्ष ग्रामीणों को जान गंवानी पड़ती है. 2021 में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक गत 11 साल में लगभग 800 लोगों की मौत हाथियों के कारण हुई है. पिछले आठ साल में विभिन्न कारणों से 60 हाथियों की मौत हो चुकी है. पांच हाथियों को तस्करों ने मार डाला, ट्रेन दुर्घटना से चार हाथियों, बीमारी से पांच हाथियों और आठ हाथी की मौत विभिन्न हादसों में हुई. जबकि एक हाथी को वन विभाग के आदेश के बाद 2017-18 में मारा गया था. 14 हाथियों की अप्राकृतिक मौत हुई है. आठ हाथियों की मौत अधिक उम्र हो जाने के कारण हुई है.
रिपोर्ट: अमित रंजन, सिमडेगा
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