एसी कमरों से बहार निकल कर किसानों का हाल देखिये हुजूर , जानिए झारखण्ड में कहां कितनी वर्षा हुई


धनबाद(DHANBAD): धनबाद सहित झारखण्ड के किसान माथा पीट रहे है. सरकारी आंकड़े पर भरोसा करें तो 1% भी धनरोपनी धनबाद में नहीं हुई है. अब अगर बारिश हुई और धान रोपा भी गया तो 25% से अधिक उत्पादन नहीं हो सकता. ऐसी हालत में किसानों का चूल्हा कैसे जलेगा, बच्चे कैसे पढ़ेंगे, घर के खर्चे कैसे चलेंगे, यह सोच सोच कर धनबाद के किसान दुबले हो रहे है.
सुखाड़ क्षेत्र के प्रस्ताव में धनबाद का नाम नहीं
वैसे, सरकार ने सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने के लिए जिन जिलों के प्रस्ताव पर काम कर रही है उनमें धनबाद का नाम नहीं है. यह भी एक विडंबना ही है कि धनबाद जिले के लोगों के लिए सुख -सुविधा की बात हो, बिजली- पानी की बात हो ,सड़क- ओवरब्रिज की बात हो, एयरपोर्ट की बात हो, सब जगह धनबाद से छल ही होता है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि यहां के लोग यही बात चिल्ला चिल्ला कर कह रहे है. 2 दिनों से रिमझिम बारिश धनबाद में जरूर हो रही है लेकिन यह पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा है. नतीजा है कि किसान परेशान है.
धनबाद में 43000 हेक्टेयर जमीन पर होती है धान की खेती
आपको बता दें कि धनबाद में 43000 हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है. बारिश नहीं होने से पूरी तरह से सुखाड़ की स्थिति बन गई है. सरकार अगर वैकल्पिक फसलों या विशेष राहत की घोषणा नहीं करती है ,उसे किसानों तक नहीं पहुँचती है तो धनबाद के किसान खेत बाड़ी रहते हुए भी दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे. अगर उपलब्ध एक आंकड़े पर भरोसा करें तो धनबाद में सामान्य वर्षापात अभी तक 619.3 मिली मीटर होना चाहिए लेकिन हुआ है केवल 310.8 मिली मीटर. जुलाई के बाद अगस्त महीने का दसवां दिन आज चल रहा है लेकिन बारिश नहीं हो रही है. किसानों के खेत सूखे हैं, नदियों और डैम में जलस्तर नीचे आ रहा है.

पीने के पानी को भी तरसेगा धनबाद
अगर यही हाल रहा तो पानी संकट से जूझ रहे कोयलांचल को बूंद- बूंद पानी के लिए तरसना होगा. उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक झारखंड के सभी जिले में बारिश में भारी विचलन हुआ है. बोकारो में 51% ,चतरा में 67%, देवघर में 57%, धनबाद में 50% ,दुमका में 54%, पूर्वी सिंहभूम में 2 1% ,गढ़वा में 64%, गिरिडीह में 49% ,गोड्डा में 66%, गुमला में 48%, हजारीबाग में 53%, जामताड़ा में 72% ,खूंटी में 41% ,कोडरमा में 49%, लातेहार में 56% ,लोहरदगा में 50% ,पाकुड़ में 71%, पलामू में 52%, रामगढ़ में 53%, रांची में 42%, साहिबगंज में 67%, सरायकेला- खरसावां में 36%, सिमडेगा में 50% ,पश्चिमी सिंहभूम में है 25% सामान्य वर्षापात और वास्तविक वर्षापात में विचलन हुआ है. यह आंकड़ा 1 जून से 9 अगस्त तक का है.
सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं मिली किसानों को
वैसे भी सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने और पठार क्षेत्र होने के कारण धान की खेती धनबाद सहित पूरे झारखंड के केवल बहियार खेतो में प्रचूरता होती है. मूल फसल भी धान ही है. बातें तो खूब होती है , लेकिन किसानों को सुविधाएं कितनी मिलती है, यह तो सर्वे का विषय है लेकिन सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण भी किसान परेशान होते है. नतीजा होता है कि पलायन की स्थिति पैदा होती है.
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