धनबाद(DHANBAD) : देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया कोयला खनन क्षेत्र में अपनी धाक और बढ़ाने के साथ-साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम शुरू कर दिया है. यह अलग बात है कि परिणाम धीरे-धीरे दिखेंगे. जानकारी के अनुसार कोल इंडिया अगले 5 वर्षों में 36 नए कोल प्रोजेक्ट विकसित करने जा रही है. इसके पहले कोयला मंत्रालय ने अब तक 175 कोयला ब्लॉक आवंटित किया है. 65 को खोलने की अनुमति भी मिल गई है. फिलहाल पूरे देश में 54 कोल ब्लॉक चालू हालत में है. यह कोल ब्लॉक कई राज्यों में फैले है. कोयला मंत्रालय का मानना है कि कोयला खनन परियोजनाओं के कारण आम लोगों के जीवन पर लाभकारी असर हो सकते है.
प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रोजगार को बढ़ावा मिल सकता है. आर्थिक विकास की बुनियादी ढांचे का विकास भी हो सकता है. यह अलग बात है कि कोयला खनन परियोजनाओं के लिए जमीन की जरूरत होती है. विस्थापन की समस्या भी बढ़ती है. पर्यावरण पर असर के साथ-साथ नुकसान भी होते है. वैसे पर्यावरण के प्रभाव को कम करने के लिए खनन से पहले और बाद की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजना पर भी कोल इंडिया काम कर रही है. जानकारी के अनुसार कोल इंडिया में एक तरफ देशी और विदेशी माइनिंग ऑपरेटरो की भूमिका बढ़ रही है, तो कंपनी भी केवल कोयला प्रोडक्शन से बाहर निकलने के लिए हाथ-पांव मार रही है.
कंपनी अब कोयला उत्पादन से बाहर निकल कर क्रिटिकल मिनरल और थर्मल पावर में कदम बढ़ा रही है. कोल इंडिया आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कोबाल्ट और लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का अधिग्रहण करना चाहती है. इसके लिए कदम बढ़ा दिए गए है. इन क्रिटिकल मिनरल ब्लॉकों के लिए ई नीलामी में भी कंपनी हिस्सा ले रही है. कंपनी हाल ही में मध्य प्रदेश में ग्रेफाइट ब्लॉक के लिए बोली लगाई है. जो इसका पहला गैर कोयला खनिज खनन उद्यम होगा. कंपनी का कहना है कि वह घरेलू बाजार और विदेशों में लिथियम समेत महत्वपूर्ण खनिजों के अधिग्रहण के लिए कोशिश कर रही है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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