धनबाद(DHANBAD): कोयला मंत्रालय सहित भारत सरकार में कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल की धमक बढ़ने वाली है. आईपीओ के जरिए आमदनी बढ़ सकती है. सूत्रों के अनुसार बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल का आईपीओ आने वाला है. दोनों कंपनियों को लिस्टिंग के लिए निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की मंजूरी मिल चुकी है. जानकारी के अनुसार दोनों कंपनियां ड्राफ्ट रेट हियरिंग प्रोस्पेक्टस दाखिल करने जा रही है.बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल के लिए बैंकों और बुक रनिंग लीड मैनेजर की नियुक्ति के लिए निविदा जारी कर दी गई है. वर्तमान में प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है.
दिसंबर के पहले अथवा दूसरे सप्ताह तक नियुक्ति की उम्मीद
दिसंबर के पहले अथवा दूसरे सप्ताह तक नियुक्ति हो जाने की पूरी संभावना है. सूत्र बताते है कि कोयला मंत्रालय ने बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल की 25% तक हिस्सेदारी खुले बाजार में बेचने की तैयारी की है. सूत्रों के मुताबिक बीसीसीएल के शेयर में से 5% की हिस्सेदारी उसके कर्मचारियों को ऑफर किया जा सकता है. कर्मी या उनके परिजन इसके लिए आवेदन कर सकते है. बहुत पहले से बीसीसीएल की लिस्टिंग के प्रस्ताव पर विचार चल रहा था . फिलहाल 10% का विनिवेश के साथ यह कार्यक्रम शुरू होगा. हालांकि बीसीसीएल में विनिवेश का मुद्दा काफी पहले से चर्चा में रहा था . कई अवसरों पर ट्रेड यूनियन के नेताओं ने इसका विरोध भी किया था .
ट्रेड यूनियन नेता कर रहे थे विरोध
ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि विनिवेश से बीसीसीएल में निजी कंपनियों का प्रभाव और बढ़ेगा ,इससे राष्ट्रीयकरण के उद्देश्यों को धक्का लग सकता है. बीसीसीएल को जनवरी, 1972 में झरिया और रानीगंज कोलफील्ड्स में संचालित कोकिंग कोल खदानों को संचालित करने के लिए शामिल किया गया था. कोयला खदानों को भारत सरकार द्वारा 16 अक्टूबर, 1971 को देश में दुर्लभ कोकिंग कोल संसाधनों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए अधिग्रहण किया गया था. यह एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है. यह देश में कोकिंग कोल बड़े हिस्से का प्रोडक्शन करती है. हाल के दिनों में अपने सारे पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए बीसीसी एल ने इतिहास रचा था. यह काम बीसीसीएल ने अपने अस्तित्व में आने के बाद पहली बार किया था .
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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