धनबाद(DHANBAD) : देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया के रिटायर्ड अधिकारियों ने भी चश्मा खरीदने के लिए पैसे की मांग की है. उनका कहना है कि सेवा काल से अधिक सेवानिवृत कर्मचारियों को चश्मे की जरूरत होती है. उम्र होने के बाद आंखें कमजोर हो जाती है. इसलिए उन्हें भी चश्मा खरीदने का पैसा मिलना चाहिए. कोल इंडिया सेवारत कर्मियों को चश्मा खरीदने के लिए 5 से ₹10,000 देती है. लेकिन यह सुविधा रिटायर्ड कर्मचारियों को नहीं मिलती है. अब इस मुद्दे को लेकर कोल इंडिया रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव वेलफेयर एसोसिएशन सक्रिय हुआ है. देखना है कि उनकी मांगों पर आगे क्या निर्णय होता है.
रिटायर्ड कोल कर्मियों ने मांग की है कि संशोधित पीपीए को जल्द निर्गत किया जाए. घरेलू उपचार के लिए सालाना 36000 मिलने वाली रकम को बढ़ाकर 50000 किया जाए. आजीवन चिकित्सा खर्च को 25 लाख से बढ़कर 50 लाख किया जाए. साथ ही अविलंब स्मार्ट कार्ड जारी किया जाए. रिटायर्ड कोयला कर्मियों का कहना है कि वह लोग प्रकृति के खिलाफ लगातार काम करते हुए रिटायर्ड हुए है. इस काम में हमेशा जोखिम रहा, अब जब वह सेवानिवृत हो गए हैं तो उनकी सुविधा बढ़नी चाहिए. यह अलग बात है कि कोल इंडिया मैनेजमेंट ने सेवानिवृत कर्मियों के लिए कई निर्णय लिए हैं और कुछ निर्णय पाइपलाइन में भी है. अब जानकारी निकल कर आ रही है कि सेवानिवृत कर्मचारियों को आवास आवंटित करने के लिए सुगबुगाहट चल रही है. कोल इंडिया और अनुषंगी कंपनियां के आवासों पर गैर कर्मियों का कब्जा है.
कुछ पर तो रिटायर्ड कोल कर्मी भी कब्जा जमा कर बैठे हुए है. एक आंकड़े के मुताबिक सबसे अधिक आवासों पर कब्जा सीसीएल में है. बताया गया है कि 19000 से अधिक आवासों पर गैर कर्मी, जबकि 2600 से अधिक आवासों पर रिटायर्ड कोल कर्मियों का कब्जा है. धनबाद में संचालित बीसीसीएल की बात की जाए तो यह संख्या 8000 को पार करती है. ईसीएल में तो 15000 से अधिक आवासों पर बाहरी लोगों का कब्जा है. दरअसल, कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद कर्मचारियों की संख्या को देखते हुए आवासों का निर्माण कराया गया था. लेकिन कर्मचारी घटते गए, नई नियुक्तियां नहीं हुई. नतीजा हुआ कि निर्मित आवास की उपयोगिता कम होने लगी.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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