धनबाद(DHANBAD): कोविड में अपने परिजनों को खोने वाले बच्चों के लिए कोल इंडिया लिमिटेड "आसरा" बनकर सामने आई है. ऐसे बच्चों के जीवन को पटरी पर लाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड काम कर रही है. जानकारी के अनुसार इसके लिए "कोल इंडिया आशीष" योजना शुरू की गई है. कोविड में अपने माता-पिता को खो चुके 1645 बच्चों को कोल इंडिया आशीष योजना के तहत छात्रवृत्ति मिल रही है. वहीं कोविड में मरने वाले कोयला कर्मियों के 424 परिजनों को अनुकंपा पर नौकरी भी दी गई है. बताया गया है कि कोल इंडिया समुदाय की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए 1645 बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए कोल इंडिया आशीष योजना के माध्यम से आयुष्मान शिक्षा सहायता योजना शुरू की है.
प्रतिवर्ष प्रति बच्चों के 45000 रुपए की मिलती है छात्रवृत्ति
जिन बच्चों ने कोविड के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया, उनकी पढ़ाई-लिखाई बंद हो गई थी, उन्हें मदद दी जा रही है. कोल इंडिया आशीष योजना के तहत बच्चों को 4 साल की अवधि के लिए प्रतिवर्ष प्रति बच्चा 45000 रुपए की छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है. सोच यह है कि अनाथ बच्चे पढ़ाई पूरी कर सके और अपने सपनों को साकार कर सके. इतना ही नहीं, कोल इंडिया ने अनुकंपा नियुक्ति के तहत 424 आश्रित को नियुक्ति पत्र भी जारी किया है. जिन 424 आश्रित को नौकरी मिली है, वह सभी अपने परिवार के सदस्यों को कोविड में खो दिया था.
पहले कई नियमों को भी किया है शिथिल
वैसे, हाल के दिनों में कोल इंडिया लिमिटेड ने कर्मचारी हित में कई नियमों को शिथिल किया है तो कई में क्रांतिकारी परिवर्तन भी किया है. कोल इंडिया के कर्मचारियों के आश्रितों को नियोजन की नई नीति के बाद अधिकारियों के आश्रितों के नियोजन के नियम में भी संशोधन कर दिया गया था. संशोधित नियम में कोयला अधिकारियों के आश्रितों को अनुकंपा पर नियोजन में बड़ी राहत मिली थी. प्रबंधन ने अधिकारियों के आश्रितों के अनुकंपा पर नियोजन संबंधी नीति में संशोधन करते हुए गैर अधिकारियों की तरह कम उम्र के बच्चे को लाइव रोस्टर में शामिल करने तथा परिवार में किसी आश्रित के नौकरी में रहने के बाद भी अनुकंपा पर दूसरे आश्रित को नौकरी देने पर सहमति दे दी थी. पूर्व में अधिकारियों की मौत पर कम उम्र के बच्चे का नाम लाइव रोस्टर में शामिल करने का प्रावधान नहीं था. परिवार का कोई सदस्य यदि कहीं भी नौकरी में है, तो दूसरे आश्रित को नौकरी नहीं मिलती थी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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