COAL INDIA: परिवर्तनशील महंगाई भत्ता बढ़ने से कर्मियों को कितने का हो सकता है फ़ायदा, पढ़िए विस्तार से !
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धनबाद (DHANBAD) : देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और इसकी अनुषंगी इकाइयों में कार्यरत कर्मियों को न्यूनतम 700 और अधिकतर ₹4000 तक का लाभ हो सकता है. ऐसा इसलिए होगा कि कोयलाकर्मियों के परिवर्तनशील महंगाई भत्ता में बढ़ोतरी की गई है. इससे कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों के करीब सवा दो लाख लोगों को फायदा होगा. सूत्र बताते हैं कि कोल इंडिया की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है. कर्मियों के परिवर्तनशील महंगाई भत्ता में 1.20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. वर्तमान में उन्हें 20.1 % का भुगतान हो रहा है. अब इसे बढ़ाकर 21.3 0% कर दिया गया है. इस दर का भुगतान पहली मार्च से प्रभावी होगा, जो 31 मई 2025 तक देय होगा. कोयलाकर्मियों का महंगाई भत्ता हर 3 माह के लिए निर्धारित किया जाता है.
50 साल की हो गई है कोल इंडिया कंपनी
बता दें कि देश ही नहीं, बल्कि विदेश की भी सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड अब 50 साल की हो गई है. पहली नवंबर" 2024 को इस कंपनी के गठन के 50 साल पूरे हो गए है. इस कंपनी को महारत्न कोयला कंपनी का भी दर्जा प्राप्त है. कंपनी में एक तरफ देशी और विदेशी माइनिंग ऑपरेटरो की भूमिका बढ़ रही है, तो कंपनी भी केवल कोयला प्रोडक्शन से बाहर निकलने के लिए हाथ -पॉव मार रही है. कंपनी अब कोयला उत्पादन से बाहर निकल कर क्रिटिकल मिनरल और थर्मल पावर में कदम बढ़ा रही है. कोल इंडिया आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कोबाल्ट और लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का अधिग्रहण करना चाहती है. इसके लिए कदम बढ़ा दिए गए है.
क्रिटिकल मिनरल ब्लॉकों की नीलामी ले रही कंपनी
इन क्रिटिकल मिनरल ब्लॉकों के लिए ई नीलामी में भी कंपनी हिस्सा ले रही है. कंपनी हाल ही में मध्य प्रदेश में ग्रेफाइट ब्लॉक के लिए बोली लगाई है. जो इसका पहला गैर कोयला खनिज खनन उद्यम होगा. कंपनी का कहना है कि वह घरेलू बाजार और विदेशों में लिथियम समेत महत्वपूर्ण खनिजों के अधिग्रहण के लिए कोशिश कर रही है. बता दे की कंपनी में प्राइवेट प्लेयर्स की संख्या बढ़ने से रेगुलर कर्मचारियों की संख्या घट रही है. नई नियुक्तियां नहीं हो रही है. जो कर्मी रिटायर कर रहे हैं, उनकी जगह पर नई नियुक्तियो के बजाय आउटसोर्स कंपनियों का सहारा लिया जा रहा है. नतीजा है कि कंपनी में ठेका प्रथा बढ़ रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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