रांची(RANCHI)- कोल्हान हो या संताल या फिर दक्षिण छोटानागपुर, आप कहीं भी चले जाइये, राज्य के हर हिस्से में आपको हेमंत सरकार को वोट देकर पछताते लोग मिल जायेंगे. आज गांव हो या शहर बस एक ही चर्चा है कि आखिर इस सरकार की विदाई कब होगी. यह दावा है भाजपा विधायक नीलकंठ मुंडा का.
हेमंत सरकार के तीन वर्षों के कामकाज पर गंभीर सवाल
हेमंत सरकार के तीन वर्षों के काम काज पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए नीलकंठ मुंडा का दावा है कि झामुमो ने पिछला चुनाव अपने झूठे वादों की आड़ में जीत ली थी, लेकिन इस बार इस सरकार की जमीन खिसक चुकी है, हर सामाजिक समूह में इस सरकार के खिलाफ जबरदस्त जनाक्रोश है, सरकार को बदलने की बेचैनी है, खास कर आदिवासी-मूलवासी समूहों में यह बेचैनी और नाराजगी कुछ ज्यादा ही मुखर है.
आदिवासी-मूलवासियों का भाजपा में विश्वास बढ़ा है
इस सवाल पर की क्या आदिवासी मूलवासियों का भाजपा में विश्वास बढ़ा है, क्या भाजपा आज भी आदिवासी-मूलवासियों की आवाज बनने की स्थिति में है, क्या वह अपने मूल मुद्दों से परे जाकर आदिवासी मूलवासियों की सामाजिक जरुरतों और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को आधार बना कर राजनीति करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
लोग इस सरकार की सच्चाई से अवगत हो चुके हैं
नीलकंठ मुंडा का जवाब है कि पूरे देश की तरह ही झारखंड में भी प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के प्रति विश्वास बढ़ा है, लोग अब इस सरकार की सच्चाई से अवगत हो चुके हैं. और आदिवासी मूलवासियों को इस बात का एहसास हो चुका है कि सिर्फ भाजपा ही उनकी आवाज बन सकती है, और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकती है.
रोजगार का सवाल हो या सामाजिक सुरक्षा का, हर मोर्चे पर विफल है हेमंत सरकार
क्योंकि रोजगार का सवाल हो या सामाजिक सुरक्षा का हर मोर्चे पर यह सरकार विफल हो चुकी है. हेमंत सरकार सिर्फ तुष्टीकरण के रास्ते चल रही है, यही कारण है कि दुमका में नौजवानों के द्वारा सरकार का विरोध हो रहा है तो राजधानी रांची में आदिवासी मूलवासियों के विभिन्न संगठनों के द्वारा विरोध प्रर्दशन किया जा रहा है.
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