धनबाद(DHANBAD): झारखंड राज्य विद्दुत कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राम कृष्ण सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा है कि जब झारखंड राज्य अलग हुआ था , तो बिजली मजदूरों ने खुशियां जाहिर की थी. उन्हें भरोसा हुआ था कि अब अन्याय, अत्याचार से मुक्ति मिलेगी. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. बिजली कर्मचारी आज भी प्रताड़ना का दंश झेल रहे है. उन्होंने लिखा है कि बिजली कर्मचारी पहले भी उपेक्षित थे और आज भी उपेक्षित है. 24 घंटा, सातों दिन ड्यूटी करने के एवज में बिहार सरकार ने 6% विशेष ऊर्जा भत्ता 2018 से ही विद्युत कर्मियों को दे रही है.
उसी के आलोक में 2018 से ही झारखंड में विद्युत विभाग से पत्र लिखकर यह मांग की जा रही है. कई बार इसको लेकर वार्ता भी हुई, लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं किया गया. जबकि कोरोना काल में जब रेल, हवाई जहाज, बस, टैक्सी, स्कूल -कॉलेज बंद थे. उस समय भी संक्रमित स्थानो पर जाकर बिजली कर्मियों ने कार्य किया. फिर भी बिजली विभाग, उनकी मांगों की पूर्ति पर उदासीन रहा.
बिजली कर्मियों ने 300 करोड़ के राजस्व को बढ़ाकर 1100 करोड़ पहुंचा दिया, लेकिन उनकी मांग की पूर्ति नहीं की गई. यूनियन नेता ने पूजा के पहले 6% ऊर्जा भत्ता देकर बिजली कर्मियों को राहत देने की मांग की है. पत्र में कहा गया है कि 200 यूनिट फ्री बिजली और पूर्व के बकाया राशि को माफ कर झारखंड सरकार ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है. झारखंड में मइया सम्मान योजना एवं छोटी बहनों को पैसा देकर उनके मुंह पर हंसी लौटाई है. मुख्यमंत्री जी!! आपने जिस तरह मां -बहनों के चेहरे पर खुशी लौटाई है ,उसी तरह बिजली कर्मियों की भी मांग है कि उनके चेहरे पर खुशी बहाल की जाए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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