रांची (RANCHI): झारखंड सरकार द्वारा केंद्र से 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि की मांग को केंद्र सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि झारखंड का कोई भी बकाया केंद्र के पास लंबित नहीं है. दरअसल, सोमवार को बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में यह सवाल उठाया था कि झारखंड सरकार का 1.40 लाख करोड़ रुपये का हिस्सा कोयले से अर्जित राजस्व में केंद्र के पास रुका हुआ है. इसे राज्य को स्थानांतरित नहीं किया जा रहा. इस सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि झारखंड सरकार का ऐसा कोई भी बकाया केंद्र के पास नहीं है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यों को धन आवंटन में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर किया पलटवार
झारखंड भाजपा के सांसदों से उम्मीद है की वे हमारे इस जायज़ माँग को दिलवाने के लिए अपनी आवाज़ अवश्य बुलंद करेंगे।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) December 17, 2024
झारखंड के विकास के लिए यह राशि नितांत आवश्यक है। pic.twitter.com/wDMaqFCxyO
केंद्र के इस रुख पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिक्रिया देते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "झारखंड भाजपा के सांसदों से उम्मीद है कि वे इस जायज़ मांग को पूरा करवाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे. झारखंड के विकास के लिए यह राशि बेहद जरूरी है." मुख्यमंत्री ने राज्य के हक की इस राशि को झारखंड के विकास के लिए आवश्यक बताया और कहा कि केंद्र को इस मुद्दे पर गंभीरता दिखानी चाहिए.
सीएम व सीएस ने केंद्र सरकार को लिखे है कई पत्र
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सहित राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों ने केंद्र सरकार से कोयला रॉयल्टी के रूप में देय राशि के भुगतान की मांग को लेकर कई पत्र लिखे हैं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यानी, 24 सितंबर को मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था, जिसमें कोयला कंपनियों पर राज्य का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया होने का उल्लेख किया गया था. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में स्पष्ट किया था कि न्यायिक आदेशों और कानूनी प्रावधानों के बावजूद कोयला कंपनियां भुगतान नहीं कर रही हैं. इस मुद्दे को केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और अन्य मंचों पर भी उठाया गया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है. उन्होंने कहा कि इस बकाया राशि के न मिलने से झारखंड के विकास कार्यों और प्रमुख सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं पर असर पड़ रहा है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और बेहतर कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी योजनाओं को धन की कमी के कारण जमीनी स्तर पर लागू करना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि इस मुद्दे को प्राथमिकता देकर जल्द से जल्द समाधान किया जाए ताकि राज्य के विकास कार्यों को गति मिल सके.
आपकों बता दें कि झारखंड सरकार और केंद्र के बीच यह विवाद नया नहीं है, लेकिन इस बार स्थिति और गंभीर हो गई है, क्योंकि राज्य सरकार बार-बार इसे राज्य के विकास से जोड़ रही है और वर्षों से बकाए 1.36 लाख करोड़ रुपए की मांग केंद्र से कर रही है. वहीं केंद्र सरकार के इस बयान ने राज्य की मांग को खारिज कर स्थिति को और स्पष्ट कर दिया है.
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