धनबाद(DHANBAD): धनबाद के व्यवसायियों ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार की शाम को बैंक मोड़ इलाके में मशाल जुलूस निकाला और मंगलवार को धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर महाधरना दिया. आज का धरना फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित था. धनबाद के व्यवसायी यूजर चार्ज की वसूली और ट्रेड लाइसेंस बनवाने में हो रही परेशानी को लेकर उद्वेलित है. उनका कहना है कि धनबाद नगर निगम ने यूजर चार्ज के नाम पर अव्यवहारिक एवं तुगलकी फरमान जारी किया है.
लोगो को भयभीत कर रहा है निगम
निगम के अधिकारी यूजर चार्ज के नाम पर कारोबारियों को भयभीत कर रहे हैं. दुकानदारों से 200 से 15 सौ रुपए, नर्सिंग होम से ₹5000 प्रति माह की वसूली का दबाव बनाया जा रहा है. कारोबारियों का कहना है कि हम लोग पहले से ही कर दे रहे हैं, फिर यूजर चार्ज का अतिरिक्त बोझ क्यों लादा जा रहा है. इसके अलावा ट्रेड लाइसेंस बनवाने, उनका नवीनीकरण करवाने के लिए होल्डिंग नंबर की मांग की जा रही है. पहले कभी भी ट्रेड लाइसेंस के लिए होल्डिंग नंबर की बाध्यता नहीं लगाई गई थी. लेकिन अब होल्डिंग नंबर के नाम पर व्यवसायियों को परेशान किया जा रहा है. इस संबंध में धनबाद के कारोबारियों ने कई बार नगर आयुक्त से मुलाकात की, अपनी परेशानी बताई, लेकिन कोई उनकी सुनता नहीं है. बाध्य होकर धनबाद के कारोबारी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने को मजबूर हुए हैं. मंगलवार को उनके धरना कार्यक्रम में राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला.
जानिए किसने क्या कहा
पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल, धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा सहित अन्य लोग धरना स्थल पर पहुंचे एवं कारोबारियों को अपना समर्थन दिया. पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल ने कहा कि टैक्स देने वाला जब तक संतुष्ट नहीं होगा तब तक परेशानियां रहेंगी. निगम को सबके साथ मिल बैठकर समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए. विधायक राज सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार के इशारे पर नगर निगम धनबाद के लोगों को परेशान कर रहा है. धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष चेतन गोयनका ने कहा कि निगम होल्डिंग चार्ज के रूप में लोगों का दोहन कर रहा है. जरूरत पड़ेगी तो मुख्यमंत्री से मिलेंगे. बैंक मोड़ चेंबर के अध्यक्ष प्रमोद गोयल ने कहा कि अगर निगम का रवैया यही रहा तो धनबाद की जनता सड़क पर आएगी और अगर व्यापारी नहीं बचेंगे तो निगम भी नहीं बच पाएगा. पुराना बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अजय नारायण लाल ने कहा कि निगम के कथनी और करनी में भारी फर्क है. निगम के कहने पर शिविर लगाकर ट्रेड लाइसेंस शुल्क के मद में पांच लाख से अधिक राशि निगम के खाते में व्यवसायियों ने जमा कराया, लेकिन आज तक लाइसेंस निर्गत नहीं हुआ.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह के साथ संतोष
4+