बर्नपुर स्टील प्लांट:नोएडा के ट्विन टावर की तर्ज पर पढ़िए -कैसे जमींदोज हुए अंग्रेजों के जमाने के कूलिंग टावर

धनबाद(DHANBAD) | तय तारीख के अनुसार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के इस्को बर्नपुर स्टील प्लांट के पांच कूलिंग टावर रविवार को ध्वस्त कर दिए गए. रविवार दोपहर एक साथ पांचो टावरों को जमींदोज किया गया. सुरक्षा और बचाव के लिए पूरे इलाके को सील कर दिया गया था. टावर से काफी दूर पर बिल्डिंग की छत पर खड़े अधिकारी इसके गवाह बने. कई लोग हाथों में मोबाइल लेकर इस पल को कैद करते रहे. कोई फेसबुक लाइव करता रहा तो कोई रील बनाता रहा. धमाका हुआ और हर तरफ धुंवा -धुंवा नजर आने लगा. इस दौरान सायरन बजता रहा. धुआं बर्नपुर शहर की ओर जाता दिखा. इसी के साथ अब इतिहास के पन्नों में यह ऐतिहासिक टावर दर्ज हो गए है.
कारखाने की आखिरी निशानी भी हो गई जमींदोज
पुराने कारखाने की आखिरी निशानी हाइपर बॉलिक कूलिंग टावरो को ध्वस्त किया गया है. इन गगनचुंबी ऐतिहासिक कूलिंग टावर को नोएडा के ट्विन टावर की तर्ज पर ध्वस्त किया गया. इसी जगह पर नया आधुनिक स्टील प्लांट प्रोजेक्ट लगाया जाएगा. इन टावर का मुख्य काम इस्पात उद्योग में उपयोग किए जाने वाले गर्म पानी को ठंडा करना होता है. कहा जाता है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इसी नियम के तहत अंग्रेजों के जमाने का कुलिंग टावर हो गए. . इस्को स्टील प्लांट परिसर के भीतर लगे इन टावरो को ध्वस्त करने के लिए विशेषज्ञों की टीम विदेश से पहुंची थी. इन कुलिंग टावरों को इस तरह से ध्वस्त किया गया कि आसपास के क्षेत्र को कोई नुकसान नहीं हुआ. इतने बड़े टावर को ध्वस्त होते देखना बेहद रोमांचकारी था.
इस्को के बर्नपुर संयंत्र का हो रहा विस्तार
दरअसल, सेल इस्को का बर्नपुर संयंत्र विस्तार की राह पर चल पड़ा है. उत्पादन लक्ष्य 7 मिलियन टन करना है. उत्पादन लक्ष्य हासिल करते ही सेल की यह इकाई देश की सबसे बड़ी इस्पात कारखाने में शामिल हो जाएगी. विस्तार में लगभग 35000 करोड रुपए लग सकते है. काम तो शुरू हो गए हैं ,पूरे होने में लगभग 5 साल लग सकते है. इसके बाद इलाके में बुनियादी परिवर्तन भी संभव है. नए विस्तार से रोजगार और विकास को बढ़ावा मिल सकता है. किसी के मन में भी यह सवाल उठ सकता है कि आखिर कुलिंग टावर है क्या? विशेषज्ञों का कहना है कि कुलिंग टावर विशेष हीट एक्सचेंजर और कनवर्टर होते है. जहां पानी का तापमान कम करने के लिए हवा और पानी को एक दूसरे से सीधे संपर्क में लाया जाता है. इस्पात संयंत्रों में शीतल टावरों की जरूरत होती है, जिससे कि उत्पादन प्रक्रिया में उत्पन्न अपशिष्ट उष्मा को हटाया जा सके. यह कुलिंग टावर अंग्रेजों के समय के बने हुए थे .
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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