बोकारो स्टील प्लांट: उत्पादन बढ़ने पर क्यों पड़ेगा बीसीसीएल पर दबाव, कैसे खुलेंगे रोजगार के द्वार, पढ़िए इस रिपोर्ट में

धनबाद(DHANBAD): अभी-अभी केंद्रीय इस्पात मंत्री और इस विभाग के राज्य मंत्री बोकारो और धनबाद के चासनाला का दौरा कर दिल्ली लौटे है. बोकारो स्टील प्लांट से उत्पादन बढ़ाने की तैयारी है. मंत्रियों ने इसकी घोषणा भी की. ऐसे में बोकारो में प्रोडक्शन बढ़ने का दबाव कोल इंडिया पर भी पड़ सकता है. वैसे, तो कोयलांचल में सेल की भी अपनी कोयला खदानें है. लेकिन वहां जो कोयले का प्रोडक्शन होता है, उससे बोकारो स्टील प्लांट की जरूरत पूरी होगी, इसमें संदेह है. जानकारी के अनुसार अमूमन 1.4 मिलियन टन स्टील के प्रोडक्शन के लिए एक मिलियन टन कोकिंग कोयले की जरूरत होती है. बोकारो स्टील प्लांट को विस्तार देकर 2.3 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाना है. यानी लगभग 2 मिलियन टन कोकिंग कोल् की आवश्यकता हो सकती है.
सेल की मौजूदा खदानों से पूरा कोकिंग कोल् मिलना संभव नहीं
सेल की मौजूदा खदानों से यह संभव नहीं है. ऐसे में कोल् इंडिया की ईकाई बीसीसीएल पर दबाव बढ़ेगा. बीसीसीएल ही कोल इंडिया की इकलौती कोकिंग कोल् उत्पादक इकाई है. जानकारी के अनुसार वर्तमान में बोकारो स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता सालाना 5.25 मिलियन टन है. विस्तारीकरण के बाद प्रोडक्शन 7.5 मिलियन टन किया जाना है. धनबाद और बोकारो में सेल की जो खदानें हैं, उनमें दो चासनाला डीप माइंस एवं जीतपुर बंद है. चासनाला अपर सिम से सालाना एक लाख टन कोयले का उत्पादन होता है. टासरा प्रोजेक्ट की क्षमता 3.5 मिलियन टन है. ऐसे में बीसीसीएल से कोयला लेना जरूरी हो सकता है. नहीं तो इंपोर्टेड कोयला ही विकल्प बनेगा.
बोकारो को लेकर मंत्रियो ने की है बड़ी घोषणा
अपने दौरे में बोकारो इस्पात संयंत्र को लेकर केंद्रीय मंत्री एचडी कुमार स्वामी और राज्यमंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने बड़ी घोषणा की है. बीएसएल की उत्पादन क्षमता 7.5 मिलियन टन किया जाना है. . इसके लिए 20 हजार करोड़ का निवेश भी होगा . प्लांट के विस्तारीकरण से 2500 लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेंगे. वर्तमान में बोकारो इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता 5.25 मिलियन टन है.केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ब्राउनफील्ड विस्तारीकरण को लेकर हॉट मेटल प्रोडक्शन को बढ़ाया जायेगा. स्टील सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर कई कदम उठाये जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना 2030 तक भारत में इस्पात उत्पादन 300 मिलियन टन करने का है. इस दिशा में निवेश व तकनीक का वृहत इस्तेमाल होगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी.
1965 में रखी गयी थी बोकारो इस्पात संयंत्र की नींव
बोकारो इस्पात संयंत्र की नींव 1965 में रखी गयी थी. 1972 में ब्लास्ट फर्नेंस काम करने लगा. उस समय उत्पादन क्षमता 1.7 मिलियन टन थी, जो अब 5.25 मिलियन टन तक पहुंच गई है. 4500 घनमीटर का ब्लास्ट फर्नेंस, स्लैब कास्टिंग, रोलिंग फेसिलिटी, स्टांप चार्जड कोकओवन बैटरी व सिंटर प्लांट विस्तारीकरण होना है.केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि प्लांट से कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में जरूरी कदम उठाया जा रहा है. 2030 तक प्लांट से कार्बन उत्सर्जन 2.67 टन प्रति टन क्रुड स्टील उत्पादन से कम कर 2.2 टन प्रति टन क्रुड स्टील उत्पादन किया जायेगा. अक्षय उर्जा को लेकर भी विभिन्न योजना पर काम हो रहा है. केंद्रीय मंत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने टासरा कोल माइन व चासनाला वाशरी का दौरा किया. सितंबर 2025 तक माइंस से उत्पादन शुरू होगा. माइंस से 3.5 मिलियन टन उत्पादन क्षमता होगी. यह स्टील उत्पादन में कच्चा सामग्री की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा. देश को इससे मजबूती मिलेगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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