TNP DESK: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ओडिशा के राज्यपाल के पद से इस्तीफा क्या दिया ,झारखंड में कयासों का बाजार गर्म हो गया है. प्रदेश भाजपा में भी हलचल है. बड़े नेताओं के एडजस्टमेंट को लेकर भी चर्चाएं तेज है. सवाल किए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा नेताओं को दिए गए भरोसे का क्या होगा?यह बात तो तय माना जा रहा है कि रघुवर दास को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जा सकती है. भाजपा अब ओबीसी चेहरे की ओर झुक गई है. बाबूलाल मरांडी को रघुवर दास रिप्लेस करेंगे. बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष बनाए जा सकते हैं. रघुवर दास गुरुवार को रांची पहुंचे. समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया. लेकिन तकनीकी कारणों से वह दो-चार दिन भाजपा में शामिल नहीं हो सकते हैं. वजह बताई जा रही है कि ओडिशा के नए राज्यपाल जब तक कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं. तब तक तकनीकी रूप से वह संवैधानिक पद पर बने रहेंगे. इसलिए भाजपा में शामिल नहीं हो सकते हैं.
रघुवर दास झारखंड की राजनीति में सक्रिय रहेंगे
इस बीच एक नई चर्चा छिड़ गई है. भाजपा के लोग भी इसका दबी जुबान से समर्थन कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि रघुवर दास अपनी पारंपरिक विधानसभा सीट जमशेदपुर पूर्वी से उप चुनाव भी लड़ सकते हैं. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अपना "वी टो" पावर लगाकर उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी से अपनी बहू को भाजपा से टिकट दिलाया. उनकी बहू जमशेदपुर पूर्वी से विधायक भी बन गई है. ऐसे में कहा जा रहा है कि नए विधायक का इस्तीफा होगा और फिर उसी सीट से रघुवर दास चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि रांची में पूछे जाने पर इस अटकल को उन्होंने खारिज कर दिया और कहा कि युवाओं को मौका मिलना चाहिए. लेकिन भाजपा के ही लोग मानते हैं कि झारखंड की राजनीति करने के लिए कम से कम विधायक का पद होना जरूरी है. ऐसे में अगर जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा दास का इस्तीफा हो जाए और रघुवर दास जमशेदपुर पूर्वी से उपचुनाव लड़ जाएं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए. यह बात भी लगभग तय है कि वह रांची में ही भाजपा में शामिल होंगे. इसका मतलब साफ है कि रघुवर दास झारखंड की राजनीति में ही सक्रिय रहेंगे.
यह बात भी सच है कि विधानसभा चुनाव के पहले ही रघुवर दास के भाजपा के सक्रिय राजनीति में लौटने की चर्चा थी. इसके लिए प्रयास भी उन्होंने किया था. लेकिन कतिपय कारणों से सफलता नहीं मिली. तब उन्होंने अपनी बहू को जमशेदपुर पूर्वी से टिकट दिलवा दिया और वह चुनाव जीत गई हैं .
रघुवर दास के भाजपा की सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद प्रदेश में कयासों का बाजार गर्म
यह अलग बात है कि 2019 में मुख्यमंत्री रहते हुए जमशेदपुर पूर्वी सीट से रघुवर दास चुनाव हार गए थे. निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय रघुवर दास को पराजित कर दिया था. वैसे तो सरकार में मंत्री रहते हुए भी सरयू राय और रघुवर दास में 36 का आंकड़ा रहा. उस समय सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से विधायक थे. लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. सरयू राय ने यह मान लिया कि रघुवर दास के दबाव में ही भाजपा ने उन्हें टिकट से वंचित कर दिया है. फिर तो वह रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने की ठान ली. और चुनाव लड़कर रघुवर दास को परास्त कर दिया .लेकिन 2024 के चुनाव में समीकरण बदले. सरयू राय जदयू में शामिल हो गए. फिर उन्हें जमशेदपुर पश्चिम सीट पर शिफ्ट कर दिया गया. वहां से वह चुनाव लड़े और मंत्री रहे बन्ना गुप्ता को चुनाव में पराजित कर दिया. यह भी एक संयोग है कि सरयू राय और बन्ना गुप्ता में 36 का आंकड़ा रहा. जदयू के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम से सरयू राय चुनाव जीत गए. जो भी हो लेकिन रघुवर दास के भाजपा की सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद प्रदेश में कयासों का बाजार गर्म है. हेड क्वार्टर से लेकर ब्लॉक स्तर तक भाजपा के कार्यकर्ताओं में तरह-तरह की चर्चाएं हैं. रघुवर दास के समर्थक खुश हैं तो कुछ तटस्थ कार्यकर्ता परिणाम को लेकर गुणा गणित निकाल रहे हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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