धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में अभी "जय जगरनाथ" का नारा खूब चर्चा में है. इसके कई माने-मतलब निकाले जा रहे है. वैसे, तो भगवान जगरनाथ ओडिशा में है, लेकिन उनके नाम का नारा झारखंड में क्यों लग रहा है. इसके पीछे की कहानी कम रोचक नहीं है. रविवार को जमशेदपुर में यह नारा खूब बुलंद होने लगा. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के कई भाजपाई अचानक सोशल मीडिया पर टिकट बांटने लगे. यहां तक हो गया कि ओडिशा के राज्यपाल ने इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावे भी सोशल मीडिया पोस्ट पर कई तरह की बातें लिखी जाने लगी. दरअसल,जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने जब से जदयू का दामन थामा है. भाजपा और जदयू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर शह-मात का खेल चल रहा है. जमशेदपुर पूर्वी के भाजपाई खूब सक्रिय दिख रहे है. भाजपा का एक बड़ा तबका चाहता है कि सरयू राय को जमशेदपुर पूर्वी से टिकट नहीं मिले. उधर, सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से ही चुनाव लड़ने की बात कह कर अपना खूंटा गाड़े हुए है. सरयू राय का यह कदम भाजपा के एक बड़े वर्ग के गले नहीं उतर रहा .
ऐसा कहा जाता-राजनीति में सबकुछ संभव होता
उनका कहना है कि जिन बातों को लेकर 5 साल तक विवाद रहा. उस आदमी के लिए अब वोट कैसे मांगेंगे. हालांकि राजनीति में सब कुछ संभव है और यही वजह है कि जमशेदपुर पूर्वी की राजनीति इस समय उबाल खा रही है. चर्चा यह छिड़ी हुई है कि हो सकता है की सरयू राय को जमशेदपुर पश्चिम से गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में उतारा जाए. यह राजनीति जमशेदपुर से चलकर रांची तक पहुंच गई है. इधर, चर्चा तेज है कि ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की भाजपा की सक्रिय राजनीति में फिर वापसी हो सकती है. हालांकि इसके पहले चर्चा थी कि रघुवर दास के किसी पारिवारिक जन को जमशेदपुर पूर्वी सीट से भाजपा टिकट दे और सरयू राय को जदयू के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम सीट पर भेजा जाए. यह सब चर्चा अभी चल ही रही थी कि झारखंड में भाजपा के सह चुनाव प्रभारी हिमंता विश्व सरमा ने ओडिशा जाकर रघुवर दास से मुलाकात की. इस मुलाकात के पीछे वजह क्या थी, इसका तो खुलासा नहीं हुआ लेकिन उसके बाद से ही रघुवर दास दिल्ली चले गए. वहां क्या बातें हो रही है, यह अब धीरे-धीरे छनकर झारखंड पहुंचने लगी है.
क्या रघुवर दास की भाजपा की सक्रिय राजनीति में वापसी होगी
चर्चा शुरू हो गई है कि रघुवर दास की भाजपा की सक्रिय राजनीति में वापसी हो सकती है. यह अलग बात है कि झारखंड में भाजपा की राजनीति कब किस ओर घूमेगी, यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है. भाजपा के नेता भी भौंचक है. धनबाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सभा से यह बात लगभग साफ हो गई है कि झारखंड में लोकल नेता के नाम पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा. बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाएगा. अगर रघुवर दास की सक्रिय राजनीति में वापसी होती है तो वह कोल्हान क्षेत्र में अधिक सक्रिय होंगे. अभी हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन भाजपा में शामिल हुए है. वह कोल्हान के नेता है. अर्जुन मुंडा पहले से ही कोल्हान में नेता है. इधर, सरयू राय भी जदयू में शामिल होकर भाजपा के लिए परेशानी पैदा कर रहे है. कुल मिला कर देखा जाए कि जय जगरनाथ का नारा झारखंड में आखिर क्या गुल खिला पाता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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