धनबाद(DHANBAD): बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो धनबाद संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी है. 2005 में वह चुनावी राजनीति में प्रवेश किये और 2024 में तमाम दिग्गजों को पछाड़ते हुए भाजपा जैसे सुसंगठित पार्टी का टिकट लेने में सफल रहे. या अलग बात है कि 2005 के बाद से ही ढुल्लू महतो की छवि दबंग की बननी शुरू हुई और यह बनती चली गई. आज बीसीसीएल के कई क्षेत्रों में उनका सिक्का चलता है. उनके इजाजत के बिना कोयल का उठाव नहीं होता है. धीरे-धीरे उनकी छवि एक दबंग नेता की होती चली गई. बकौल विधायक सरयू राय उनके खिलाफ 50 मुकदमे लंबित है, जिनमें चार में उन्हें सजा भी मिली है.
पहली बार 2005 में लड़ा था चुनाव
ढुल्लू महतो को टिकट देने के बाद विधायक सरयू राय हमलावर हैं और लगातार प्रेस कांफ्रेंस और भाजपा आला कमान को ट्वीट कर रहे है. यह अलग बात है कि धनबाद कोयलांचल की राजनीति कोयले की चमक से ही चमकती है और विधायक ढुल्लू महतो भी इससे अलग नहीं है. टाइगर फोर्स से राजनीति की शुरुआत करने वाले विधायक ढुल्लू महतो आज भाजपा के एक बहुत बड़े चहेते हो गए है. भाजपा भी इसे स्वीकार करती है. 2005 में ढुल्लू महतो ने समरेश सिंह की पार्टी से बाघमारा से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2009 में वह झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़े और जीत गए. फिर 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजई रहे.
2019 में तीसरी बार बाघमारा से विधायक बने
2019 में भी वह बीजेपी की टिकट पर बाघमारा से चुनाव लड़े लेकिन कड़े संघर्ष के बाद मात्र 800 से कुछ अधिक वोटो से उन्हें जीत मिली. 1975 में जन्मे ढुल्लू महतो का विवादों से पुराना नाता रहा है. पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ने, मारपीट करने के मामले में उन्हें 18 महीने की सजा भी हुई है. यह अलग बात है कि 18 महीने की सजा होने के कारण उनकी विधायकी बच गई. यह भी बात सही है कि ढुल्लू महतो को राजनीति विरासत में नहीं मिली है. चाहे जिस भी रास्ते वह यहां तक पहुंचे हैं, उसमें उनकी खुद की मेहनत है. लेकिन आगे बढ़ने के क्रम में वह अपने दुश्मनों की भी फौज खड़ी कर ली. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो सहित कई लोग उनके विरोधी बताए जाते है. गिरिडीह के पूर्व सांसद रविंद्र पांडे भी उनके विरोधी कहे जाते है. फिलहाल निर्दलीय विधायक सरयू राय उनके सबसे बड़े विरोधी बन गए है. लगातार उनकी कमजोरी को उजागर कर रहे है. अपराधिक इतिहास को बता रहे है.
दिवंगत नेता समरेश सिंह की वजह से राजनीति में आये
वैसे ढुल्लू महतो को राजनीति में लाने का श्रेय दिवंगत नेता समरेश सिंह को जाता है. समरेश सिंह ने ही उन्हें टाइगर की उपाधि दी थी. उसके बाद ढुल्लू महतो ने टाइगर फोर्स का गठन किया. यह टाइगर फोर्स आज भी चल रहा है. फिर उन्होंने मजदूर राजनीति में भी प्रवेश किया. मजदूर संगठन से जुड़े ,लेकिन कोयला लोडिंग में दबंगता के आरोप उन पर लगाते रहे है. 2024 के चुनाव में भाजपा ने उन पर भरोसा किया और सांसद पशुपतिनाथ सिंह जैसे आजाद शत्रु की छवि वाले नेता का टिकट काटकर ढुल्लू महतो को भाजपा ने टिकट दे दिया. चिटा हीधाम रामराज मंदिर का निर्माण उनकी उपलब्धि कही जाती है. हालांकि मंदिर के नाम पर जमीन कब्जा करने के आरोप भी उन पर है. सबकुछ के बावजूद 2005 के बाद से वह पार्टी जरूर बदलते रहे लेकिन लगातार ऊंचाई की सीढ़िया चढ़ते गए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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