धनबाद(DHANBAD): बिहार के बाहुबली और चर्चित पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की राजनीति बिहार से चलकर झारखंड में भी पहुंचेगी. कम से कम झारखंड के धनबाद में तो अभी वह टेलीफोन पर सक्रिय हैं लेकिन आगे सशरीर भी मौजूद होकर समर्थकों को गोलबंद करेंगे. ऐसा कयास इसलिए लगाया जा रहा है कि धनबाद कोयलांचल में उनके कई समर्थक आज भी हैं ,जो उनका और उनके परिवार का साथ बुरे दिनों में भी नहीं छोड़ा. यही वजह थी कि पिछले साल उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद और उनका विधायक पुत्र झरिया आए थे. झरिया में उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ था. इधर ,बिहार के चर्चित बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह एक बार फिर चर्चे में है.
90 के दशक में शिखर पर थी उनकी राजनीति
90 के दशक में वह चर्चा में रहा करते थे लेकिन फिर 2023 में उनकी चर्चा तेज हो गई है. जेल से रिहाई भी एक बड़ा कारण है. इधर ,सोमवार को आनंद मोहन सिंह सहरसा की सड़कों पर "रोबिन हुड" के अंदाज में दिखे. सहरसा की मांगों को लेकर वह और उनके समर्थक सड़क पर थे. उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद भी कदम से कदम मिलाकर चल रही थी. आनंद मोहन सिंह जयप्रकाश आंदोलन की उपज़ है. उसके बाद राजनीति के क्षेत्र में वह कई सीढ़ियां चढ़े, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के वह करीबी माने जाते थे. 1993 में उन्होंने बिहार पिपुल्स पार्टी बनाई थी. इस पार्टी के टिकट पर उनके उम्मीदवार बिहार विधानसभा का चुनाव भी लाडे थे.
धनबाद विधानसभा सीट पर भी लड़े थे उनके उम्मीदवार
धनबाद विधानसभा सीट पर भी उनकी टिकट पर जगनारायण सिंह ने चुनाव लड़ा था. यह अलग बात है कि धनबाद से वह हार गए. लेकिन आनंद मोहन सिंह का रिश्ता धनबाद से पहले भी बना हुआ था, अभी बना हुआ है. वैसे आनंद मोहन सिंह जेल से रिहाई के बाद से ही भाजपा के निशाने पर है. जेल मैनुअल में बदलाव कर आनंद मोहन सिंह की रिहाई हुई है. सहरसा की सड़क पर सोमवार को लोगो ने फिर फटी आँखों से पुराने अंदाज में देखा. लोगों का भी उन्हें समर्थन मिला. लोग बताते हैं कि कहीं जोर जबरदस्ती नहीं हुई और बंद का लोगों ने स्वेच्छा से समर्थन किया. यह अलग बात है कि सत्ता धारी दाल उनके इस कार्यक्रम से अपने को अलग रखा. बंद की सफलता के लिए
पिछले कई दिनों से ताबड़तोड़ फील्डिंग की जा रही थी. आनंद मोहन ने कहा कि सहरसा की बहुत हकमारी हुई है. अब वह नहीं होने देंगे.
गोपालगंज के डीएम की हत्या के आरोप में उम्र कैद हुई थी
4 दिसंबर" 1994 को गोपालगंज के डीएम की हत्या के आरोप में उन्हें उम्र कैद की सजा हुई थी. यह सजा 2007 में सुनाई गई थी. उसके बाद से ही वह जेल में थे लेकिन इस बीच बिहार सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन करके उस वाक्यांश को हटा दिया, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था. इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिनी जाएगी, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी. इस संशोधन के बाद आनंद मोहन की रिहाई की प्रक्रिया आसान हो गई, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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