टीएनपी डेस्क(TNP DESK): जेल में बंद अमित अग्रवाल को बड़ी राहत मिली है. कैश देकर पीआईएल मैनेज मामले में जेल में बंद कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. अमित अग्रवाल की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कारोबारी अमित अग्रवाल को जमानत दे दी है. पिछली सुनवाई में अमित अग्रवाल की अधिवक्ता रंजिता रोहतगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके क्लाइंट को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने अधिवक्ता राजीव कुमार की शिकायत की. जब राजीव कुमार को जमानत मिल गई तो अमित अग्रवाल को भी जमानत मिलनी चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि अमित अग्रवाल को जमानत क्यों नहीं दी जाए. इस पर ईडी ने कहा कि वो इस बारे में जवाब दाखिल करेंगे.
अधिवक्ता राजीव कुमार की गिरफ़्तारी से सुर्खियों में आए थे अमित अग्रवाल
बता दें कि 31 जुलाई को बंगाल पुलिस ने झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव को शॉर्ट लेक से गिरफ्तार किया था. राजीव कुमार के पास से पुलिस ने 50 लाख रुपये बरामद किया था. इस मामले में शिकायतकर्ता अमित अग्रवाल थे. अमित अग्रवाल ने बंगाल पुलिस को शिकायत की थी जिसमें बताया गया कि एक झारखंड हाई कोर्ट में दायर पीआईएल को वापस लेने के लिए पैसे की मांग की गई है. अमित अग्रवाल की शिकायत पर योजना बना कर अधिवक्ता को गिरफ्तार किया गया था. अधिवक्ता को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया था. वहीं इस केस को बंगाल सीआईडी को सौप दिया था.
फिर हुई ईडी की एंट्री
इस केस में फिर ईडी की इंट्री हुई और अधिवक्ता राजीव कुमार को ED ने रिमांड पर लेकर पूछताछ किया. पूछताछ के बाद कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल के खिलाफ ईडी ने मामला दर्ज किया और पूछताछ के लिए रांची के जोनल कार्यालय बुलाया. इसमें अमित अग्रवाल पैसों का सही जवाब और सोर्स नहीं दे पाए. इसके बाद अमित अग्रवाल को ईडी ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल भेज दिया था.
अवैध खनन मामले में भी अमित अग्रवाल का नाम
बता दें कि साहेबगंज जिले में 1000 करोड़ के अवैध खनन मामले में भी अमित अग्रवाल का नाम सामने आया है. जानकारी के मुताबिक ईडी को अपनी जांच में पता चला है कि अवैध खनन में अमित अग्रवाल भी शामिल था. जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार होने से पहले अमित अग्रवाल ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण से साहिबगंज और पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के मायापुर के बीच गंगा नदी पर मालवाहक जहाज चलाने का पर्मिशन भी ले लिया था. उन्होंने जिस कंपनी के नाम पर इसकी अनुमति ली थी, उसका नाम राजेश आटो मर्केंडाइज प्राइवेट लिमिटेड बताया गया है. इसके जरिए अवैध खनन से निकले पत्थर की ढुलाई का प्लान था. मगर, इसके पहले ही अमित अग्रवाल ईडी की गिरफ्त में आ गया और प्लान सिर्फ प्लान ही रह गया.
अवैध खनन का पैसा अमित अग्रवाल तक पहुंचता था
सूत्रों की मानें तो इसी कड़ी में ईडी को जानकारी मिली है कि अवैध खनन का पैसा सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के जरिए नेताओं और अधिकारियों के करीबी माने जाने वाले प्रेम प्रकाश तक पहुंचा. फिर प्रेम प्रकाश ने इन पैसों को अमित अग्रवाल तक पहुंचाया. बता दें कि सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा अवैध खनन मामले के मुख्य आरोपी हैं. इस बारे में ईडी ने पूछताछ के लिए सीएम हेमंत सोरेन को भी समन भेजा था. जिसके बाद 17 नवंबर को सीएम पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय पहुंचे. जहां ईडी के अधिकारियों ने उनसे लगभग 9 से 10 घंटे तक पूछताछ की थी.
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