धनबाद(DHANBAD): भाजपा के हजारीबाग से निर्वतमान सांसद जयंत सिन्हा और धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा को पार्टी की ओर से जारी किया गया नोटिस क्या प्रदेश संगठन के गले की हड्डी तो नहीं बन रही है. यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि जयंत सिन्हा का आरोप है कि नोटिस को जानबूझकर मीडिया में जारी कर दिया गया. जिससे पार्टी के प्रति निष्ठा और कठिन परिश्रम करने वालों को गहरी चोट लगी है. हालांकि पत्र जारी करने वाले आदित्य साहू ने स्पष्ट किया है कि मैं पत्र लीक नहीं किया है. यह जांच का विषय है कि नोटिस की खबर धनबाद और हजारीबाग के अखबारों में कैसे छप गई. पत्र किसने लीक किया, इसकी जांच होगी. पता चला है कि जयंत सिन्हा और राज सिन्हा द्वारा भेजे गए जवाब पर पार्टी के वरीय नेता फैसला लेंगे. जो भी हो लेकिन आदित्य साहू ने 20 मई को नोटिस जारी करते हुए दो दिनों में स्पष्टीकरण मांगा था.
जयंत सिन्हा ने कहा -वोट नहीं डालने की बात गलत
जयंत सिन्हा ने अपने जवाब में कहा है कि चुनाव प्रचार के लिए उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया. जहां तक वोट नहीं डालने की बात है, तो पोस्टल बैलेट से उन्होंने अपना वोट डाल दिया है. चुनाव प्रचार में पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों ने उन्हें नजर अंदाज किया. अगर पार्टी चाहती कि वह चुनावी गतिविधियों में भाग लें , तो उनसे संपर्क जरूर करती. 2 मार्च को मैंने सक्रिय राजनीति से खुद को अलग करने की घोषणा कर दी थी. अगर पार्टी को उनकी जरूरत होती तो उन्हें आमंत्रित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पार्टी ने किसी भी कार्यक्रम या रैली में हिस्सा लेने के लिए नहीं कहा. उन्होंने यह भी कहा है कि पार्टी प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने उन्हें नामांकन के लिए आमंत्रित किया था. उस वक्त मैं दिल्ली में था. 2 मई को हजारीबाग आते ही मनीष जायसवाल के घर गया, लेकिन वह नहीं मिले. राज सिन्हा ने अपने जवाब में कहा है कि पार्टी ने उन्हें जो भी काम सौंपा है, उसे पूरा किया है.
20 मई को जारी हुआ था नोटिस
20 मई को हजारीबाग में चुनाव खत्म होने के बाद निर्वतमान सांसद मनीष जायसवाल को नोटिस किया गया. उसी दिन धनबाद विधायक राज सिन्हा को भी नोटिस किया गया. राज सिन्हा पर आरोप लगा है कि वह पार्टी प्रत्याशी ढुल्लू महतो के पक्ष में काम नहीं कर रहे है , जबकि राज सिन्हा का कहना है कि वह लगातार काम कर रहे है. जहां भी पार्टी उन्हें बुलाती है, जरूर जाते है. पार्टी प्रत्याशी के नामांकन में भी गए थे और पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जिंदाबाद के नारे भी लगाए थे. फिर भी उन्हें नोटिस जारी किया गया है जो भी हो लेकिन यह मामला परिणाम आने के बाद भी तूल पकड़ेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है. आखिर नोटिस जारी होने के तुरंत बाद यह नोटिस लीक कैसे हुई, इसकी जांच की बात कही जा रही है. लेकिन कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि चुनाव के बीच इस तरह का नोटिस का जारी होना कई सवालों को जन्म देता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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