धनबाद(DHANBAD): धनबाद की झरिया के लोगों के लिए बहुत जल्द ही जियाल गोड़ा में 60 बेड के अत्याधुनिक अस्पताल का शिलान्यास होगा. यह अच्छी बात है, इस अस्पताल के प्रस्ताव पर सरकार सहित सभी को राजी करने में झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह की बड़ी भूमिका रही है. उन्हीं के सकारात्मक प्रयास से अस्पताल का निर्माण शुरू होने जा रहा है. अस्पताल के निर्माण में लगभग ₹10 करोड़ खर्च होंगे. योजना के मुताबिक हर अत्याधुनिक सुविधा रहेगी. अस्पताल बनना तो अच्छी बात है लेकिन इसी के साथ कई सवाल भी खड़े होते है. झरिया के जियाल गोड़ा और भूलन बरारी में जमीन के नीचे अगर आग है तो बीसीसीएल को स्पष्ट करना चाहिए. अगर आग नहीं है तो कोई बात नहीं लेकिन अगर है तो अस्पताल किसी बगल की झरिया विधानसभा में ही दूसरी जगह बनना चाहिए.जिससे कि अस्पताल भविष्य में सुरक्षित रह सके.
जियलगोड़ा और भूलन बरारी अग्नि प्रभावित क्षेत्र हैं कि नहीं
झरिया के जियलगोड़ा और भूलन बरारी अग्नि प्रभावित क्षेत्र हैं तो फिर इस अग्नि प्रभावित क्षेत्र में अस्पताल के निर्माण के प्रस्ताव पर ही सवाल खड़े हो रहे है. जानकारी के अनुसार बीसीसीएल ने अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया है. शर्त यह है कि जमीन का मालिकाना हक बीसीसीएल के पास ही रहेगा और जब बीसीसीएल को जरूरत होगी, फिर जमीन को वापस ले ले लेगी. सवाल उठता है कि बीसीसीएल प्रबंधन ने ही इस इलाके को अग्नि प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है. इसके लिए आम इश्तहार भी निकाला गया है, बावजूद फिर अग्नि प्रभावित क्षेत्र में अस्पताल के लिए ही सही, अनापत्ति पत्र देना लोगों की समझ में नहीं आ रहा है.
बीसीसीएल और सरकार को अपना रुख साफ़ करना चाहिए
एक तरफ तो सरकार की तरफ से झरिया को उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है, झरिया रेलवे स्टेशन को हटा दिया गया, किस्तों में झरिया को मारा जा रहा है, फिर अस्पताल का निर्माण कैसे हो रहा है, यह एक बड़ा सवाल है. इसमें बीसीसीएल की भूमिका भी जाँच के दायरे में होनी चाहिए. अस्पताल बनना चाहिए, झरिया के लोग जब रह रहे हैं तो उन्हें सुविधाएं भी मिलनी चाहिए. लेकिन बीसीसीएल और सरकार को भी अपना रुख स्पष्ट कर देना चाहिए. मीठा गप गप और कड़वा थू थू नहीं होना चाहिए. अगर झरिया के जियाल गोड़ा और भूलन बरारी में भूमिगत आग है या यह फायर एरिया हैं और बीसीसीएल सचमुच में इसे फायर एरिया मानती है तो फिर अस्पताल के निर्माण का आगे क्या स्वरुप होगा ,यह चिंता में डालने वाली बात होगी. जब बी सीसीएल को इलाके खाली कराने होते हैं तो कहा जाता है कि भूमिगत आग है और उसके बाद सब कुछ सामान्य ढंग से होता चला जाता है.
झरिया के आरएसपी कॉलेज का हाल सबके सामने है
झरिया का आरएसपी कॉलेज इसका उदाहरण है. आग का भय खड़ा कर कॉलेज को बेलगड़िया में शिफ्ट कर दिया गया, जहां सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है. कॉलेज के भवन के नीचे आग की बात कहकर यह सब किया गया लेकिन आज भी वहां सब कुछ सामान्य है. पानी सप्लाई के लिए पहले की टंकी के बारे में भी शोर मचा कि वहां भी आग है और उसे भी हटाना होगा लेकिन वह आज तक यथावत है. कतरास रेलवे लाइन पर ट्रेन परिचालन रोकने का उदाहरण सबके सामने है. जमीन के नीचे आग का भय दिखाकर एकाएक 19 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया. कहा जाने लगा कि जमीन के नीचे आग से रेल लाइन को खतरा है लेकिन बाद में फिर उसी लाइन पर बिना कुछ किए ही रेल परिचालन शुरू कर दिया गया. एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आज नहीं तो कल लोग पूछेंगे ही.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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