बीसीसीएल ने झरिया के कई रिहायशी इलाकों को खाली करने का दिया नोटिस, लोगों ने उठाए सवाल


धनबाद(DHANBAD) | कतरास मोड़ सहित झरिया के रिहायशी इलाको को खाली करने का नोटिस देने के बाद बीसीसीएल लोगों के निशाने पर आ गया है. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या जमीन के भीतर सचमुच खतरनाक आग है अथवा कतरास की भांति ही आग का हौवा खड़ा किया जा रहा है. झरिया से लेकर धनबाद तक लोगों की जुबान पर यही चर्चा है कि आखिर असलियत क्या है ,आग कितनी गंभीर है, बीसीसीएल को यह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. सिर्फ नोटिस देकर चुप बैठ जाने से क्या होगा. जिन लोगों ने तिनका -तिनका जोड़ कर अपना आशियाना बनाया है, उनका क्या होगा.
2016 में रातो रात बंद कर दी गई थी 26 जोड़ी ट्रेनें
आपको बता दें कि कतरास में भी 2016 में यही हाल हुआ था. 2016 की मध्य रात्रि को कतरास रूट पर चलने वाली 26 जोड़ी ट्रेनों को रद्द कर दिया गया और बताया गया कि रेल लाइन को भूमिगत आग से खतरा है. इसके खिलाफ कतरास के लोग एकजुट हो गए और तथ्यों का जुगाड़ किया और आंदोलन की शुरुआत कर दी. लगातार 20 महीने तक चले आंदोलन के बाद कम से कम 20 जोड़ी ट्रेनें कतरास रूट पर फिर से चलाई जाने लगी. यह आंदोलन अपने आप में ऐतिहासिक था. दल, विचार, धर्म, जाति से ऊपर उठकर लोगों ने आंदोलन का साथ दिया. धनबाद से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगाई. जनप्रतिनिधियों से सहयोग माँगा. रेल अधिकारियों से मुलाकात की. डीजीएमएस से भी तथ्यों की जानकारी ली. आन्दोलनकारयो का दावा था कि आग की गति इतनी नहीं है कि रेल लाइन को खतरा है.
20 महीने के आंदोलन के बाद फिर चालू कर दी गई ट्रेनें
उसके बाद ट्रेनें फिर से चालू हुई. लोग प्रश्न कर रहे हैं कि क्या झरिया के मामले में भी इसी तरह का हौवा खड़ा किया जा रहा है.आपको बता दें कि झरिया के जिन जिन इलाकों के लिए नोटिस जारी किया गया है, वह रिहायशी इलाके हैं और अगर ये इलाके खाली हो गए तो झरिया का अस्तित्व ही मिट जाएगा. झरिया धनबाद की ऐतिहासिक नगरी है. पहले झरिया से ही धनबाद का अस्तित्व था. लोग कहते है कि झरिया को किस्तों में मारने की तैयारी की जा रही है. रेलवे स्टेशन हटाया गया. ऐतिहासिक आरएसपी कॉलेज को हटा दिया गया है. यह बात सही है कि झरिया शहर के अगल-बगल के इलाकों में गोफ बनते रहे है. जहरीली गैस भी निकल रही है लेकिन कितनी गतिशील है ,इसके बारे में कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की जा रही है. यह भी नहीं बताया जा रहा है कि आग को नियंत्रित करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं या किए जा रहे है.
झरिया शहर के नीचे बेशकीमती कोकिंग कोल है
आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि झरिया शहर के नीचे बेशकीमती कोकिंग कोल है और इस कोकिंग कोल पर कंपनी की नजर होना बहुत ही स्वाभाविक है. आपको बता दे कि झरिया के कतरास मोड़ ,बिहार टॉकीज, बकरीहाट , पुराना राजा गढ़, अंचल कार्यालय सहित कई सरकारी भवनों को खतरनाख क्षेत्र में बताया गया है. बीसीसीएल प्रबंधन ने इन सब के संबंध में एक सार्वजनिक सूचना जारी किया है. . इधर , झरिया पुनर्वास की बैठक के लिए फिर तिथि निर्धारित की गई है. यह बैठक दिल्ली में 7 अक्टूबर को होगी. इसके पहले चार बार बैठको की तिथि को स्थगित किया गया है. यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि झरिया पुनर्वास की अवधि पिछले ही साल खत्म हो गई है. यानी झरिया पुनर्वास की राशि से अब कोई नया काम नहीं हो सकता. वही काम केवल होंगे जो या तो हाथ में ले लिए गए है , या जिनको शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है.
देश की सबसे बड़ी 7000 करोड़ की पुनर्वास योजना शुरू हुई
आपको बता दें कि देश की सबसे बड़ी 7000 करोड़ की यह पुनर्वास योजना है. बीसीसीएल निर्गत सूचना में ईस्ट भगतडीह , शिमलाबहाल कोलियरी के अंतर्गत इनसाइड कोलिय री कंपाउंड नंबर चार पीट , बोका पहाड़ी, गोपालीचक बस्ती नंबर 01 , पीट एरिया, खास झरिया , चौथाई कुली ,हुसैनाबाद, कतरास मोड़, बिहार टॉकीज, राजबाड़ी एरिया, ऑफिसर कॉलोनी, बिल्ट अप टाइप एरिया सिंह नगर, नंबर चार पीट एरिया ,नंबर 7 पीट एरिया, कोयरी बांध, इंदिरा नगर, भालगोड़ा धसका पट्टी, तारा बागान, भालगोदा बस्ती, पोद्दारपाड़ा , काठगोला दो नंबर चणक , हवा चानक ,गाड़ीवान पट्टी, शमशेर नगर को खतरनाख इलाका बताया गया है.
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