धनबाद(DHANBAD): धनबाद के रेल अधिकारी के बंगले में कार्यरत कर्मी ने बंगले के गराज में ही फांसी लगाकर जान दे दी. यह घटना कोई साधारण नहीं है .सूदखोरों के आतंक के कारण रेलकर्मी ने ऐसा कदम उठाया. इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि धनबाद कोयलांचल में सूदखोरों का आतंक कायम है और उनकी समानांतर व्यवस्था पहले की तरह ही चल रही है .रेलकर्मी पवन कुमार राउत ने रविवार की रात रेल अधिकारी के गराज में फांसी लगाकर जान दे दी .
सूदखोरों से परेशान थे पवन कुमार
पवन कुमार सूदखोरों से परेशान था. लोग बताते हैं कि अभी हाल फिलहाल में ही सूदखोर को उसने एक मोटी रकम का भुगतान किया था. फिर भी सूदखोर का अत्याचार कम नहीं हो रहा था. इस घटना को सिर्फ एक आत्महत्या के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. कोयलांचल में अक्सर इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं .धनबाद कोयलांचल में कोलियारियों के अस्तित्व में आने के बाद से शुरू हुए इस सूदखोरी के धंधे ने नए-नए रूप, रंग , चाल और ढंग ने अपना डायना फैला लिया है. शहर हो अथवा गांव, सब जगह उनकी सक्रियता है. कोलियरी क्षेत्र में तो यह बेताज बादशाह है. जरूरत पड़ने पर गरीब लोग इन सूद खोरों से पैसा लेते हैं. उन्हें मासिक ब्याज भी देते हैं. लेकिन कभी सूदखोरी से मुक्त नहीं हो पाते हैं. इस फेर में कई लोग तो अपनी गाड़ी कमाई गंवा देते हैं. तो कई ऐसे लोग भी हैं जो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं.
कहा तो यह जाता है कि पूरे जिले में सूदखोरों का नेटवर्क काम करता है. सरकारी कार्यालय में बैंक अकाउंट में पैसा भेजने की व्यवस्था लागू हुई. लेकिन सूदखोर इसका भी काट खोज लिए हैं. महीने के पहले सप्ताह में बैंक के बाहर ऐसे सूदखोर मंडराते रहते हैं. रेलवे और बीसीसीएल कर्मियों के तो एटीएम कार्ड, चेक बुक तक साइन करा कर रख लेते हैं. बैंक अकाउंट में पैसा आते ही पैसा, निकाल लेते हैं. नतीजा होता है कि कर्मियों के हाथ में कुछ लगता नहीं है, और फिर महीने का खर्च चलाने के लिए वह सूदखोरों के पास चले जाते हैं .उसके बाद शुरू हो जाती है उनकी प्रताड़ना.
सूदखोरों के अत्याचार के कारण लोग अपनी जान गवा रहे
धनबाद कोयलांचल में कोलियारियों के अस्तित्व में आने के बाद से ही यह धंधा शुरू हुआ. कोलियारियों के राष्ट्रीयकरण के पूर्व तो कोयला काटने वालों को कम भुगतान मिलता था. इस वजह से घर परिवार चलाने अथवा गांव पैसा भेजने के लिए सूदखोरों के पास जाते थे. लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद तो कोयला कर्मियों का भुगतान ठीक-ठाक हो गया. फिर भी पहले से सूदखोरों के चंगुल में फंसे कोयला कर्मी बाहर नहीं निकल पाए और यह आज भी जारी है. पहले तो सूदखोरी के लिए कबूली वाले प्रसिद्ध थे. वह माथे पर मुरेठा बांधे साइकिल से शहर दर शहर, इलाके दर इलाके घूमते थे. लेकिन अब वह दिखते नहीं है. लेकिन उनकी जगह पर सफेद पोश बने सूदखोर कब्जा कर लिए हैं और सूद पर पैसा देकर लोगों की जान ले रहे हैं .कोयलांचल में कई ऐसी घटनाएं हुई ,जिसमे यह बात सामने आई कि सूदखोरों के अत्याचार के कारण लोगों ने अपनी जान गवा बैठे. फिर भी उनका आतंक कम नहीं हुआ है. लोग बताते हैं कि धनबाद कोयलांचल में सूदखोरों का एक मजबूत नेटवर्क काम करता है. और वह नेटवर्क प्रशासन अथवा सरकार की किसी भी कार्रवाई की गति को मोड़ने की ताकत रखता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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