धनबाद (DHANBAD) : तोपचांची के रहने वाले नरेश राय मुर्गा पकड़ने की कोशिश कर रहे थे. इस प्रयास में वह गिर गए और लोहे का छड़ उनकी आंखों में घुस गया. शनिवार की शाम गंभीर हालत में उन्हें धनबाद के SNMMCH में लाया गया. लेकिन इमरजेंसी में भारी भीड़ के कारण रात 9:00 बजे तक बाहर ही इंतजार करना पड़ा. यह हाल सिर्फ नरेश राय का ही नहीं था , कई मरीज भी बेड मिलने के इंतजार में बाहर स्ट्रेचर पर पड़े हुए थे. नरेश राय की हालत गंभीर थी, पीड़ा से वह परेशान थे.
बेड नहीं मिला तो बाहर स्ट्रेचर पर ही शुरू हुआ इलाज
बेड की स्थिति यह थी कि 2 घंटे के बाद डॉक्टर ने इमरजेंसी के बाहर ही मरीज को देखा,और दर्द का इंजेक्शन दिया. फिर एक्सरे करने के बाद इलाज शुरू किया गया. हाल के वर्षो में अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है, जितने बेड है, उसे कई गुना अधिक मरीज पहुंचते है.अधिकारी कहते है कि 10 साल पहले जितने बेड थे, उतने ही अभी भी है. ठीक इसके उलट, धनबाद के सदर अस्पताल में बेड रखने की जगह नहीं है. लेकिन वहां मरीज नहीं है. पता नहीं क्यों, सामंजस्य बैठाकर काम नहीं होता. जबकि दोनों अस्पताल सरकारी ही है.
SNMMCH के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर है हड़ताल पर
इधर, SNMMCH के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर सैलरी की मांग पर 2 तारीख से हड़ताल पर है. शनिवार से इमरजेंसी सेवा भी बाधित करने की बात कही थी. लेकिन, मरीजों की तकलीफ को देखते हुए अब 10 तारीख की तिथि तय की है. 3 महीनों से उन्हें सैलरी नहीं मिली है. झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता धनबाद के प्रभारी भी है, लेकिन अस्पताल में कोई सुधार नहीं हो हो रहा है. सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को रेगुलर तनख्वाह भी नहीं मिल रही है. इसे धन से आबाद धनबाद का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जा सकता है.
रिपोर्ट: शांभवी सिंह, धनबाद
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