देवघर(DEOGHAR): पवित्र सावन के माह में कांवरिया बंधु सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी से गंगा जल भर कर बाबा धाम आते हैं. आने के क्रम में पूरे रास्ते कांवरिया सिर्फ बम के नाम से जाने जाते हैं और रास्ते भर सभी लोग बोल बम का उच्चारण करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बोलबम बोलने के पीछे की कहानी क्या है? तो जानिए अब विस्तार से....
बकरे की आवाज़ से बना बम बम
देवघर के कांवरिया पथ पर इनदिनों हज़ारों हज़ार की संख्या में आने वाले श्रद्धालु के मुख से सिर्फ बोल बम का उच्चारण सुनाई देता है. इतना ही नहीं यहां आने वाले सभी श्रद्धालु सिर्फ बम के नाम से जाने जाते हैं. सुल्तानगंज से जल भर कर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बोल-बम बोल-बोल कहते बाबा मंदिर पहुंच बाबा का जलार्पण करते हैं. कांवरिया बम क्यों बोलते हैं इसके पीछे भी एक कहानी है. जानकारों के अनुसार राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती ने अपना शरीर त्याग दिया था जिसके बाद भगवान भोले ने राजा दक्ष का गरदन काट दिया था. इसके बाद पुनः जीवित करने के लिए भगवान शंकर ने दक्ष को बकरा का सिर लगा दिया था. दक्ष के मुख से बकरा वाली बोली जो निकली वह शंकर को अति प्रिय लगी जिससे भगवान शंकर अति प्रसन्न हुए. राजा दक्ष के अभिमान को चूर करने पर भोले शंकर जो प्रसन्न हुए खासकर बकरा की आवाज को सुन कर तब से बम-बम हर-हर बम-बम का उच्चारण कर श्रद्धालु भगवान शंकर को प्रसन्न करने लगे. यही कारण है की सुल्तानगंज से लेकर बाबा मंदिर तक बोल-बम का नारा गूंज उठता है.
बोल बम बोलने से मिलती है शक्ति
बोल-बम के नारा लगाते बम सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर बाबाधाम की 105 किलोमीटर की कष्टमय यात्रा कब पूरा हो जाता है किसी को भी मालूम नहीं परता है. महिला,पुरुष,बच्चा बम की माने तो बाबा शंकर का प्रिय बोल बम के नारा लगाने से बाबा की शक्ति मिलती है और इसी शक्ति से रास्ता कट जाता है. कई ऐसे बम भी है जो शारीरीक तकलीफे होने के बाबजूद बोल-बम बोलते हुए इस कठिन यात्रा को पूरा करते हैं.
रास्ता तो कठिन है और 105 किलोमीटर की पैदल यह यात्रा कर बम भगवान शंकर के प्रिय तो बन ही जाते हैं,बाबा की आस्था का ही महिमा है की लोग सावन और इस वर्ष मलमास माह में खासकर दूर-दराज से यहां पहुंच बम के नाम से जाने जाते हैं. एक गाना यूंही याद आ जाता है बोल-बम का नारा है बाबा एक सहारा है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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