धनबाद(DHANBAD) : कोयलांचल सहित पूरे झारखंड में मिलावटी दूध का पता अब लैक्टोमीटर भी नहीं लगा पाते है. सब कुछ जब बदल रहा है तो दूध बेचने वाले भी अपनी तरकीब बदल रहे है. अब दूध में पानी नहीं मिलाया जाता बल्कि डिटर्जेंट और शैम्पू से दूध बना लिया जा रहा है. आप जो दूध पी रहे हैं यह कास्टिक सोडा, डिटर्जेंट, शैंपू से तैयार किया गया है या नहीं. इसकी कोई गारंटी आपके पास नहीं है. यह दूध तो आपको ताकत नहीं ही देगा लेकिन शरीर के अंगों को खराब जरूर कर देगा. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए झारखंड सरकार से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है. कहा गया है कि यह गंभीर मामला है और अगर यह सच है तो ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
एक लीटर दूध को बनाया दिया जाता है 15 लीटर दूध
पत्र में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिखा है कि एक लीटर दूध में रिफाइंड और कास्टिक सोडा मिलाकर 15 लीटर दूध बनाया जा रहा है. पहले अधिक कमाई करने के लिए दूध में पानी मिलाया जाता था लेकिन अब ज्यादा पैसा कमाने के लिए यूरिया, सर्फ और स्टार्च मिलाकर दूध की मात्रा बढ़ाई जा रही है, ताकि कम दूध में अधिक मुनाफा कमाया जा सके. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिखा है कि यह गंभीर चिंता का विषय है. मानव अधिकारों का हनन भी है. आयोग ने इस पर झारखंड के डीजीपी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को छह हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है. डीजीपी से यह भी पूछा गया है कि इस मामले में अगर कोई झारखंड में केस दर्ज हुआ है तो इसकी भी जानकारी दें.
रिपोर्ट : शांभवी सिंह, धनबाद
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