धनबाद(DHANBAD): धनबाद के बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय का विवादों से नाता नहीं टूट रहा है. लंबे आंदोलन के बाद धनबाद को यह सुविधा मिली थी लेकिन विवाद ऐसा पीछे पड़ा है कि विश्वविद्यालय को छोड़ ही नहीं रहा है. कभी लड़के आंदोलन कर रहे हैं तो कभी टीचर आंदोलन कर रहे हैं तो कभी तबादला का विरोध हो रहा है तो कहीं राजभवन के आदेश का इंतजार हो रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो विश्वविद्यालय प्रबंधन विवाद का अखाड़ा बन गया है. हाल- फिलहाल में कई अच्छे अधिकारी यहां से चले गए. उस समय भी दबी जुबान से यह बात सामने आई थी कि विवाद की वजह से ही अधिकारी धनबाद छोड़कर गए है. फिलहाल धनबाद के प्रतिष्ठित एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की प्राचार्य के तबादले को लेकर विवाद खड़ा हुआ है. यह विवाद बता रहा है कि प्राचार्यो की नियुक्ति या उनके पदस्थापन में वरीयता का ख्याल नहीं किया जा रहा है. नतीजा है कि इसका विरोध हो रहा है.
टीचर भी खड़े हो गया है विरोध में
एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की प्राचार्य डॉ शर्मिला रानी का ट्रांसफर बीएसएस, कॉलेज, मैथन में कर दिया गया है. उन्होंने इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है. विश्वविद्यालय का आदेश मानने से इंकार कर रही है. नए प्राचार्य डॉ अशोक कुमार माजी को प्रभार देने से इनकार कर दिया है. मंगलवार को कॉलेज में प्रभार लेने के लिए डॉक्टर माजी गए थे. उन्होंने कुलपति से भी बात की लेकिन डॉ शर्मिला रानी ने प्रभार देने से इंकार कर दिया. 22 जून को ही राजभवन ने यह निर्देश झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों को दिया है कि सबसे वरीय शिक्षक ही प्रभारी प्राचार्य होंगे. लेकिन यह निर्देश बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में लागू नहीं हुआ है. जानकार सूत्रों के अनुसार अगर बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में यह आदेश लागू कर दिया जाए तो कई कॉलेजों के प्राचार्य स्वत हट जाएंगे. क्योंकि वरीयता सूची में उनका नाम ऊपर नहीं है तो फिर ऐसा क्यों हुआ, क्या विश्वविद्यालय के पास ट्रांसफर -पोस्टिंग के कोई कायदे -कानून नहीं है.
कई एक्शन को लेकर यूनिवर्सिटी है चर्चे में
क्या विश्वविद्यालय में सब कुछ मनमर्जी ढंग से चल रहा है. कभी 70% से अधिक छात्रों को फेल कर दिया जाता है तो कभी एक दो महीने पहले रिटायर होने वाले शिक्षकों का तबादला कर दिया जाता है. विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्र संगठन का सामना नहीं करता. छात्र संगठन आरोपों की झड़ी लगाते है. ऐसे में धनबाद को विश्वविद्यालय का जो तोहफा मिला है, उस पर पानी फिरता दिख रहा है. धनबाद के लोग जानते हैं कि इस विश्वविद्यालय के लिए कितनी लंबी लड़ाई लड़ी गई थी और उसके बाद रघुवर सरकार में धनबाद को विश्वविद्यालय मिला. विश्वविद्यालय दिलाने का श्रेय धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा को गया था. पीजी की पढ़ाई कॉलेजों में बंद करा दी गई, कहा गया कि सभी छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर में ही आकर पढ़ाई करनी होगी, क्योंकि कॉलेजों में टीचर नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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