धनबाद(DHANBAD): अस्थाई दिव्यांगता प्रमाण पत्र यह लिखकर निर्गत किया गया था कि एक साल में फिर इसका मूल्यांकन किया जाएगा. लेकिन निर्गत तिथि के 6 महीने बाद का ही स्थाई दिव्यांगता प्रमाण पत्र जमा करा दिया गया. ऐसा ही मामला धनबाद में शुक्रवार को पकड़ में आया है. मेडिकल में नामांकन के लिए दो छात्राओं ने इसी तरह का प्रमाण पत्र जमा किया है. अधिकारियों को जब संदेह हुआ तो इसकी जांच के लिए मेडिकल बोर्ड बैठा. हालांकि गठित मेडिकल बोर्ड किसी नतीजे पर नहीं पंहुचा. बोर्ड ने अब दोनों छात्राओं के दिव्यांगता की जांच रांची रिम्स में कराने का परामर्श दिया है. अब यह मामला रांची रिम्स के पास चला गया है.
SNMMCH में एमबीबीएस के लिए हो रहा एडमिशन
धनबाद के SNMMCH में एमबीबीएस के लिए 50 बच्चों का नामांकन होना है. इसमें 2 सीट दिव्यांग कोटे का है. इसके लिए दो छात्राओं ने आवेदन दिया था. जांच में दोनों छात्राओं के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी की आशंका हुई, इसके बाद प्राचार्य डॉ ज्योति रंजन प्रसाद एवं सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा की मौजूदगी में मेडिकल बोर्ड ने मामले की जांच की. मेडिकल बोर्ड के समक्ष दोनों छात्राएं उपस्थित हुई. लेकिन बोर्ड के दोनों स्पेशलिस्ट डॉक्टर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए. यह निर्णय लिया गया कि मामला रांची रिम्स को रेफर कर दिया जाये.
एक ने देवघर तो दूसरे ने धनबाद का दिया है प्रमाण पत्र
जानकारी के अनुसार दिव्यांगों के नामांकन के लिए एक छात्रा ने देवघर का बना हुआ नेत्रहीन का प्रमाण पत्र दिया है. वहीं, दूसरी छात्रा ने धनबाद का बना हुआ बहरेपन का प्रमाण पत्र सुपुर्द किया है. इनके दिव्यांगता प्रमाण पत्र में एक साल में दोबारा मूल्यांकन की बात कही गई है. लेकिन निर्गत डेट से 6 महीने बाद का ही स्थाई दिव्यांग का प्रमाण पत्र जमा कर दिया गया है. इन्हीं कारणों से कागजातों की जांच कर रहे अधिकारियों को संदेह हुआ. फिलहाल दोनों छात्राओं को नामांकन नहीं लेने दिया गया है और उनकी दिव्यांगता की जांच की प्रक्रिया शुरू की गई है.
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