प्रतिबंध के बावजूद कोयलांचल में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग धडल्ले से जारी, नगर निगम ने क्या दी सफाई, जानिए


धनबाद(DHANBAD) - इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि धनबाद नगर निगम का कोई भी अभियान जितने तामझाम से शुरू होता है, उतनी ही स्पीड से अभियान धराशाई भी हो जाता है. हम बात सफाई अभियान की भी कर सकते हैं, हम बात सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कराने की भी कर सकते हैं और हम बात सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध की भी कर सकते है. सभी अभियानों का हाल लगभग एक जैसा ही है. कारण चाहे जो हो लेकिन धनबाद के लोगों को इससे निराशा ही होती है.
बारिश कम होने से नहीं खुल रही है निगम की पोल
धनबाद में इस साल बारिश कम हो रही है इसलिए भी बहुत सारे रिहायशी इलाके नहीं डूब रहे हैं नहीं तो पिछले साल कई मोहल्ले और इलाके पानी से भर गए थे. मतलब पानी निकासी की कोई ठोस इंतजाम शहर में नहीं है. हम अगर सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग की बात करें तो पहली जुलाई से पूरे झारखंड में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह आदेश अभी भी प्रभावी है. लेकिन धनबाद के बाजारों में धड़ल्ले से प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. यह बात अलग है कि बड़े -बड़े प्रतिष्ठानों ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग से परहेज किया है. लेकिन जिन जगहों पर प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग अधिक होता है ,वहां धड़ल्ले से चल रहा है.
बेधड़क धनबाद में हो रहा है प्लास्टिक का उपयोग
The Newspost की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि बहुत जगह पर सब्जी ,फल, छोटे-छोटे दुकानों पर प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है. हालांकि शुरुआती दिनों में नगर निगम ने इसके खिलाफ अभियान शुरू किया था. कई जगहों पर छापेमारी भी हुई. बहुत सारे दुकानदारों पर जुर्माना भी लगाया गया. लेकिन यह अभियान फिर ठंडे बस्ते में चला गया है और नतीजा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. इस संबंध में धनबाद नगर निगम के उप प्रशासक प्रकाश कुमार कहते हैं कि अभियान बंद नहीं हुआ है. सभी सिटी मैनेजर, सुपरवाइजर को कहा गया है कि जांच पड़ताल करें, छापेमारी के लिए टीम भी बनी हुई है और टीम अपने ढंग से कार्रवाई कर रही है. बहुत सारे लोगों से जुर्माना वसूला गया है.
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक यानी एक ही बार इस्तेमाल के लायक प्लास्टिक, प्लास्टिक की थैलियां, प्याले, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ पाउच सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी आते है. यह सब दोबारा इस्तेमाल के लायक नहीं होते है. इसलिए एक बार इस्तेमाल के बाद इनको फेंक दिया जाता है. आधा से ज्यादा इस तरह के प्लास्टिक पेट्रोलियम आधारित उत्पाद होते है. इनके उत्पादन पर खर्च बहुत कम आता है. यही वजह है कि रोजाना के बिजनेस और कारोबारी इकाइयों में इसका इस्तेमाल खूब होता रहता है. इस तरह के प्लास्टिक के अंदर जो रसायन होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है. इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जलाशयों में जाता है, जो काफी खतरनाक है. मिट्टी की उर्बरक क्षमता भी घाट जाती है.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह के साथ प्रकाश , धनबाद
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