दुमका(DUMKA):झारखंड में भ्रष्टाचार के रोज नए-नए मामले सामने आ रहे है. भ्रष्टाचार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से आम लोगों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों के भरोशा भी ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय पर बढ़ा है. तभी तो प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने दुमका के ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल में हुए 1 करोड़ 42 लाख के गबन मामले की ईडी से जांच की मांग की है.
बाबूलाल मरांडी की ट्वीट ने उड़ाई कई लोगों की नींद
बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया. जिसमे झारखंड सीएमओ और डायरेक्टर ईडी को टैग किया गया है. टि्वटर पर बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि दुमका में करीब 1 साल पहले ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग में 1 करोड़ 42 लाख का गबन हुआ था. इस मामले में छोटे कर्मचारी जेल में बंद हैं. लेकिन बड़े अधिकारी मस्त है. इधर छात्रावासों की मरम्मत और जीर्णोद्धार के नाम पर 1 करोड़ 81 लाख का टेंडर निकाला गया है. टेंडर होने से पहले ही कई हॉस्टल का काम हो चुका है. एक-एक हॉस्टल के मरम्मत का 45 - 45 लाख रुपए का टेंडर निकला है.
दुमका में करीब एक साल पहले ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग में 1.42 करोड़ का गबन हुआ था।इस मामले में छोटे कर्मचारी जेल में बंद है,अधिकारी मस्त हैं। इधर छात्रावासों के मरम्मत और जीर्णोद्धार के नाम पर 1.81 करोड़ का टेंडर निकाला गया है।टेंडर होने से पहले ही कई हॉस्टल का काम हो…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) June 1, 2023
ठेकेदार और इंजीनियर के गठजोड़ से हो रहा है गबन
आगे उन्होंने लिखा है कि ठेकेदार और इंजीनियर के गठजोड़ से हो रहे सरकारी राशि के दुरुपयोग, बंदरबांट और लूट को कौन संरक्षण दे रहा है? दुमका में हुए 1 करोड़ 42 लाख के गबन मामले की सरकार ने एसीबी से जांच कराना मुनासिब नहीं समझा. दुमका पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज करने वाले कर्मचारी को ही जेल भेज चुकी है. गबन के रूपए भी बरामद नहीं हुए हैं.
झारखंड में एक वीरेंद्र राम नहीं बल्कि हर जिले में विरेंद्र राम है
उन्होंने लिखा है कि ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल वही विभाग है, जिसके चीफ इंजीनियर रहे वीरेंद्र राम अभी जेल में है. ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है. ईटी को जांच का दायरा दुमका तक बढ़ाना चाहिए. ताकि गबन में सम्मिलित असली घोटालेबाजों पर कार्यवाही हो सके. मैं शुरू से ही कहता रहा हूं कि झारखंड में एक वीरेंद्र राम नहीं है. एक-एक जिले में कई-कई विरेंद्र राम है. बाबूलाल मरांडी की इस ट्वीट ने कई अधिकारियों की नींद उड़ा दी है. क्योंकि सरकारी राशि का गबन हुआ है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता और रिकवरी के नाम पर महज एक लाख रुपया ही बरामद हुआ है.
8 नवंबर 2021 को नगर थाना में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
8 नवंबर 2021 को दुमका के ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के वरीय लेखा लिपिक द्वारा नगर थाना में आवेदन देकर 1करोड़ 42 लाख 20 हजार 590 की सरकारी राशि के गबन के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने अनुसंधान के क्रम में विभाग के वरीय लेखा लिपिक पंकज वर्मा और कंप्यूटर ऑपरेटर पवन गुप्ता को सलाखों के पीछे पहुचा, समय के साथ पवन गुप्ता को बेल मिल गया जबकि पंकज वर्मा अभी भी जेल में बंद हैं.
ये है पूरा मामला
दर असल रामगढ़ प्रखंड में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल द्वारा पूल का निर्माण कराया गया. पूल निर्माण का कार्य ABC कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया. कार्य के एवज में विभाग की ओर से 28 अक्टूबर 2021 को 1 करोड़, 42 लाख, 20 हजार, 590 रुपये का चेक और हार्ड कॉपी ABC कंट्रक्शन कंपनी के एसबीआई खाता में डालने के लिए कोषागार को भेजा गया. 7 नवंबर तक जब राशि कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाता में नहीं पहुंचा तो संवेदक ने इसकी लिखित शिकायत विभाग से की. जिसके बाद विभागीय स्तर से सरकारी राशि के गबन की प्राथमिकी नगर थाना में दर्ज कराई गई.
ABC के बदले GK इंटरप्राइजेज के खाते में पहुंच गया राशि
अनुसंधान के क्रम में पता चला कि यह राशि ABC कंस्ट्रक्शन कंपनी के SBI खाता के बदले हरियाणा हिसार की जीके इंटरप्राइजेज नामक कंपनी के केनरा बैंक के खाता में पहुंच गया. जीके इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर राजेश सिंह हैं, जो बिहार के नवादा जिला का रहने वाला है. गबन की राशि डिपाजिट होने से पहले जीके इंटरप्राइजेज के केनरा बैंक के खाता में महज 31 करोड़ था. इस तरह वो रातों रात करोड़पति बन गया. खाता में राशि आते ही राजेश ने राशि को कई खाता में भेज दिया. पुलिसिया अनुसंधान में पता चला था कि 54 लाख रुपये राजेश ने अपने भाई रंजन सिंह के खाता में भेजा था.
रंजन के पास से पुलिस एक लाख रुपया ही बरामद कर पाई
पुलिस नवादा से रंजन को हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए दुमका पहुंची और पूछताछ के बाद पीआर बॉण्ड पर छोड़ दिया. पुलिस सूत्रों की माने तो उस वक्त रंजन के पास से पुलिस एक लाख रुपया ही बरामद कर पाई थी. बाद में दबाब पड़ता देख राजेश सिंह कोर्ट में आत्मसमर्पण करने आ रहा था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. वह आज भी जेल में बंद है.
बाबूलाल का एक ट्वीट, कई रहस्य
बाबूलाल के एक ट्वीट में कई रहस्य छिपा हुआ है. मामला ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग का है, और इस विभाग के चीफ इंजीनियर रहे बीरेंद्र राम को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इसलिए तो बाबूलाल मरांडी ने ईडी से अपने जांच का दायरा दुमका तक बढ़ाने की मांग की है.
पुलिस की जांच में ये स्पष्ट हुआ है कि राशि का गबन हुआ है
इस मामले में अब तक के पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकारी राशि का गबन हुआ है. गबन की राशि राजेश सिंह के खाता में गया जहां से फिर कई खातों में रुपया ट्रांसफर किया गया. तमाम खाता धारक का नाम और पता सामने और कुछ लोगों को जेल भेजे जाने के बाद सवाल विभाग पर ही उठता है कि आखिर गबन की राशि वापस करने की दिशा में विभाग ने अभी तक क्या पहल की है?
विभाग को गबन हुई राशि की वापसी की दिशा में भी पहल करनी चाहिए
अगर पहल नहीं हुई है, तो फिर विभाग की क्या मजबूरी है? राशि सरकारी भले ही हो लेकिन यह राशि आम जनता की ओर से दिए गए टैक्स से जमा होती है. निश्चित तौर पर संवेदक को विभाग की ओर से राशि का भुगतान कर दिया होगा. अब विभाग को गबन हुई राशि की वापसी की दिशा में भी पहल करनी चाहिए. अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच हो तो कई सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं.
रिपोर्ट-पंचम झा
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