दुमका (DUMKA) : डॉक्टर दंपति की मौत ने एक सवाल खड़ा किया है कि हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीज आग से कितनी सुरक्षित हैं. झारखंड की उपराजधानी दुमका की बात करें तो यहां फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित कई सरकारी और निजी हॉस्पिटल है. फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दुमका ही नहीं संथाल परगना प्रमंडल के कई जिलों के साथ सीमावर्ती बिहार से भी मरीज इलाज कराने आते हैं. 300 बेड की क्षमता वाले इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को आज तक फायर एनओसी नहीं मिला है. इसको लेकर फूलोझानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रबंधन से बात की गई तो कुछ और ही पता चला. उनका कहना है कि उनके तरफ से फायर एनओसी के लिए आवेदन दिया गया है पर अभी तक एनओसी नहीं मिला है.
केवल दो निजी अस्पताल में फायर एनओसी की सुविधा
ऐसे में जब जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का यह आलम है तो अन्य सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल की स्थिति को समझा जा सकता है. सूत्रों की माने तो जिले के दो ही निजी अस्पताल ऐसे हैं जिसने फायर एनओसी के लिए आवेदन दिया है. इस तरह देखा जाए तो जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में भगवान भरोसे मरीज का इलाज होता है. आग से बचाव के मामले में अस्पताल प्रबंधकों की लापरवाही से भविष्य में दुमका में किसी बड़ी घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए जरूरत है समय रहते अस्पताल प्रबंधकों को आग से बचाव को लेकर गंभीरता दिखाते हुए उसकी समुचित व्यवस्था की जाए ताकि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ ना हो सके.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका
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