व्यवसायियों की गुहार - धनबाद की हालतों पर तरस खाइएं मुख़्यमंत्री, यहां कोई नहीं है सुरक्षित
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धनबाद(DHANBAD): धनबाद का माहौल पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है. व्यवसायी, डॉक्टर, सामान्य जन तो परेशान है ही,अब छूटभैया लोग भी पुलिस को धमका रहे हैं. यह चिंताजनक बात है. पुलिस अगर इसको गंभीरता से नहीं लेती है तो धनबाद का व्यवसाई वर्ग जिला से लेकर राज्य के राजधानी तक आंदोलन करेगा और मुख्यमंत्री को बाध्य कर देगा कि वह कड़ी कार्रवाई का धनबाद पुलिस को निर्देश दें. अगर ऐसा नहीं होता है तो बहुत चिंताजनक स्थिति बनेगी. धनबाद का व्यवसायी आज लाचार और विवश हो गया है.
व्यवसायियों को सिर्फ टैक्स की मशीन न समझे सरकार
व्यवसायियों को सिर्फ टैक्स की मशीन समझा जाता है. उनकी सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. नतीजा होता है कि अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और वह किसी न किसी गैंग में शामिल होकर धनबाद की जमीन को बदनाम करते है. लोगों को धमकाते हैं, परेशान करते हैं, हाल के दिनों में धमकी के लिए जितनी भी फायरिंग की घटनाएं हुई हैं, उनमें कोई बाहर का गैंग या बड़ा गैंग शामिल नहीं है. सारे अपराधी लोकल हैं और अगर पुलिस चाहे तो 24 घंटे के अंदर इनको क्रैक कर सकती है. लेकिन पता नहीं क्यों, पुलिस इसे गंभीरता से नहीं ले रही. नतीजा है कि धनबाद का माहौल रोज-रोज बिगड़ता जा रहा है. बैंक मोड़ चेंबर के अध्यक्ष प्रभात सुरोलिया का कहना है कि बिल्कुल धनबाद में भय का माहौल बन गया है. आज किसी और को धमकी मिल रही है, कल किसे मिलेगी, यह कोई नहीं जानता. राज्य के मुखिया के पास गृह विभाग भी है.
मुख्यमंत्री धनबाद के हालातो पर लें संज्ञान
मुख्यमंत्री को धनबाद के गंभीर हालत पर संज्ञान लेना चाहिए और कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं बैंकमोड चेंबर के महासचिव प्रमोद गोयल का कहना है कि पहले बड़े- बड़े कारोबारियों को धमकियां मिलती थी लेकिन अब तो धमकियां मिलना बहुत सामान्य बात हो गई है. पुलिस को जो संवैधानिक अधिकार मिले हैं. उन का उपयोग करना चाहिए, अन्यथा स्थिति और भी खराब हो जाएगी. व्यवसाई सोहराब खान का कहना है कि जनता कारोबारी और पुलिस के बीच एक खाई बन गई है. इस खाई को पाटने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि एक निर्धारित समय पर बैठकें हो और लोगों की समस्याएं और परेशानी सुनी जाए, इससे एक माहौल बनेगा, जिसका अपराधियों में भी भय होगा. एक दूसरे व्यवसायी लोकेश अग्रवाल का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन कोयला चोरी में व्यस्त है. नतीजा है कि अपराध की घटनाओं को रोकने पर उनका कोई ध्यान ही नहीं है.
रिपोर्ट: संतोष कुमार, धनबाद
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