रांची (RANCHI): दिल्ली में संसद का नया भवन राष्ट्र को समर्पित हो गया है.डेढ़ दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों ने यह कहकर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया कि इस भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह करके देश की पहेली नागरिक यानी राष्ट्रपति का कथित रूप से अपमान किया है.
चल रहा है आरोप-प्रत्यारोप
इस विषय को लेकर खूब राजनीतिक बयानबाजी उद्घाटन से पहले कई दिनों से हो रही थी. उद्घाटन के बाद भी इसके विरोध और प्रधानमंत्री द्वारा संसद भवन का उद्घाटन किए जाएंगे को जायज ठहराया जाता रहा. दिल्ली से लेकर रांची तक इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे.
भाजपा नेता ने दिया विवादित बयान
भाजपा के नेताओं ने भी बहिष्कार करने वाले राजनीतिक दलों पर पड़ा हमला बोला. वरिष्ठ भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने तो यह कह दिया कि जिन्होंने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया वे राष्ट्र विरोधी हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जिन राजनीतिक दलों के द्वारा इसका बहिष्कार किया गया उनके अगर सांसद हैं, तो उन्हें संसद के इस नए भवन में नहीं जाना चाहिए.
संसद के नए भवन के उद्घाटन पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि देश की आदिवासी राष्ट्रपति से इस पुनीत कार्य को नहीं कराया जाना एक बड़ा अपमान है. संसद का उद्घाटन तो राष्ट्रपति को ही करना चाहिए था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने को प्रोजेक्ट करने के लिए यह सब किए. 2020 में जब नए संसद भवन की आधारशिला रखी गई थी तब देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे. वे दलित समुदाय से आते थे लेकिन उन्हें आधारशिला रखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. जैसा कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि एक अहंकारी राजा का राज्याभिषेक हुआ है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.
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