झारखंड में फिर बना एक रिकॉर्ड, क्यों है भाजपा निशाने पर, पढ़िए इस रिपोर्ट में


धनबाद(DHANBAD): झारखंड राजनीति की प्रयोगशाला ही नहीं, बल्कि रिकॉर्ड का खजाना भी है. फिर एक रिकॉर्ड बना है. झारखंड में आज 3 मार्च को आम बजट पेश हो गया. लेकिन नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं किया जा सका है. इसी के साथ यह सवाल भी बड़ा हो गया है कि क्या झारखंड में भाजपा सचमुच अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. आखिर नेता प्रतिपक्ष का चुनाव क्यों नहीं हो रहा है? क्या भाजपा केंद्रीय नेतृत्व झारखंड को बेसहारा छोड़ दिया है? यह सब ऐसे सवाल हैं, जो आज झारखंड में खड़े हुए है. यह बात भी सच है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में भाजपा की बुरी हार हुई है. भाजपा ने जितना प्रयास किया ,उसे सफलता नहीं मिली.
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी सक्रिय राजनीति में लौट आये
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी भाजपा की सक्रिय राजनीति में वापस लौट आये. उम्मीद की जा रही थी कि अब सब कुछ ठीक-ठाक हो जाएगा और बीजेपी झारखंड में नई दिशा लेकर काम करेगी. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. झारखंड विधानसभा में भाजपा विपक्ष में तो है, लेकिन विपक्ष का कोई नेता नहीं है. उम्मीद की जा रही थी कि झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को बदलकर बाबूलाल मरांडी को पार्टी, नेता प्रतिपक्ष बनाएगी. लेकिन बजट के दिन भी चयन नहीं हो सका. इसको लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा को भाजपा पर हमला बोलने का एक मौका मिल गया है.
क्या कहते हैं झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य
झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि बजट सत्र में पहली बार होगा कि सदन में विपक्ष तो रहेगा, लेकिन विपक्ष का नेता नहीं होगा. उनका आरोप है कि भाजपा इस देश में लोकतंत्र पर हमला करना चाहती है. संसदीय व्यवस्था में विपक्ष जरूरी है. उन्होंने तंज कसा है कि भाजपा के जितने विधायक हैं, या तो अपना नेता चुन ले या फिर सामूहिक इस्तीफा दे दे. यह भी कहा कि भाजपा नहीं चाहती है कि स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था बनी रहे. लोकसभा में विपक्ष जब आवाज उठाता है तो राज्यसभा और लोकसभा से 150 सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है. दो-दो लोकसभा के सांसद की सदस्यता छीन ली जाती है. झामुमो का आरोप है कि भाजपा की दिशा झारखंड में सही नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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