पशुपालक हो जाएं सर्तक, झारखंड में भी लम्पी ने दी दस्तक, विस्तार में जनिए क्या है बीमारी और उसके उपचार


टीएनपी डेस्क (TNP DESK): दुनिया और देश के लोग कोरोना की मार से उबर ही रहे थे कि अब जानवरों पर आफत आ पड़ी हैं. हम बात कर रहे हैं लम्पी स्किन रोग की. यह मवेशियों की स्किन को नुकसान पहुंचा रहा है. यह एक संक्रामक रोग है, जिसका कोई इलाज भी नहीं है. इस दुर्लभ बीमारी के कारण देशभर में मवेशियों की मौत हो रही है. गुजरात, राजस्थान, एमपी और यूपी समेत कई राज्यों के बाद इस स्किन डिजीज ने झारखंड में भी दस्तक दे दी है. राज्य के 2 जिलों रांची और देवघर से इस वायरस के संक्रमण के मामले सामने आए हैं. रांची के नगरी और देवघर के पाला चोरी में वायरस से संक्रमित गाय और बछड़ा मिला है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रविवार को ही मामला संज्ञान में लिया जा चुका है. वहीं सोमवार को सैंपल कलेक्ट कर के जांच के लिए भोपाल भेजा जाएगा. राजभर में रोकथाम के लिए सरकार ने एडवाइजरी भी जारी कर दी है. राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख में स्पष्ट निर्देश दिया है कि लंपी वायरस की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार तेजी से काम करेगा. पशुपालन निदेशक ने डीएचओ को कोई भी संदिग्ध मवेशी मिलने पर इतिहास बरतने की सलाह दी है. वहीं पशुओं की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है. सोमवार को बैठक के बाद पशुपालकों की मदद के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.
लम्पी त्वचा रोग की होती हैं 3 प्रजातियां
लम्पी त्वचा रोग की मुख्यतः तीन प्रजातियां होती हैं. बताया जाता है कि पहली और सबसे मुख्य प्रजाति 'कैप्रिपॉक्स वायरस' (Capripoxvirus) है. इसके अलावा गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) और शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus) दो अन्य प्रजातियां हैं.
कैसे फैलता है लम्पी वायरस
मंकी पॉक्स की तरह ही लम्पी त्वचा रोग भी कम्युनिकेबल वायरस के माध्यम से फैलता हैं. यह रोग मच्छरों, मक्खियों, टीक और ततैयों जैसे क्त-पान करने वाले कीड़ों से फैलता है. जिसे 'गांठदार त्वचा रोग वायरस' (LSDV) कहते हैं. यह मवेशियों द्वारा दूषित भोजन और पानी का सेवन करने से भी फैलता है. वहीं संक्रमित मवेशियों के संपर्क में आने से स्वास्थ्य मवेशियों में ये रोग फ़ैल सकता है.
क्या है त्वचा रोग के लक्षण
रोग का उपचार तो दूर की बात है. पहले ये पता कैसे चले कि आपका मवेशी लम्पी त्वचा रोग से संक्रमित हो चुका है? इस त्वचा रोग के कुछ लक्षण हैं, जिन्हें देख कर आप पता लगा सकते है कि क्या आपके मवेशी वायरस के संक्रमण हैं. रोग से ग्रस्त पशु को बुखार, त्वचा पर गांठें, आंखों और नाक से स्राव, दूध उत्पादन में कमी और खाने में कठिनाई हो सकती है. कुछ मामलों में वायरल संक्रमण घातक हो सकता है, खासकर उन जानवरों में जो पहले वायरस के संपर्क में नहीं आए हैं. गर्भवती गायों और भैंसों को अक्सर इस बीमारी के कारण गर्भपात हो जाता है.
इतने राज्यों को कर चुका है प्रभावित
केंद्र की रिपोर्ट्स के अनुसार गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में फैली इस बीमारी के कारण अब तक लगभग 57,000 मवेशियों की मौत हो चुकी है. राजस्थान में लगभग 8 लाख गायें संक्रमित हुई हैं, जिनमें से कम से कम 7.40 लाख का इलाज हो चुका है. वहीं गुजरात के 14 जिलों भी यह वायरस फैल चुका है. बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहाँ भी LSDV तेजी से राज्य के पश्चिमी हिस्सों में फैल रहा है, क्योंकि 2,331 गांवों से लगभग 200 मवेशियों की मौत हो चुकी है. जिसमे अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर शामिल है.
क्या है रोग के घरेलु उपचार के उपाय
कोरोना वायरस और मंकी पॉक्स के इंजेक्शन डोज़ की तरह इस गांठदार त्वचा रोग के लिए अभी तक कोई स्पष्ट दवा सामने नहीं आयी है. हालांकि केंद्र सरकार संक्रमित मवेशियों को एक पशु में होने वाले इन्फेक्शन की सामान्य दवा से ही ट्रीट कर रही है. इसी बीच राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने लंपी स्किन रोग के लिए परंपरागत उपचार की विधि बताई है. जिसे घर में ही तैयार किया जा सकता है. और गाय के संक्रमित होने पर इन परंपरागत उपायों को करने से मवेशियों को काफी राहत मिल सकती है. हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि बीमारी पशु को स्वस्थ पशुओं से पूरी तरह दूर रखें.
उपचार 01: इसके लिए साधारण उपलब्ध होने वाली चीज़ो की ज़रूरत पड़ेगी. जैसे 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम नमक और गुड़. इस पूरी सामग्री को पीसकर एक पेस्ट बना लें और इसमें आवश्यकतानुसार गुड़ मिला लें.
. इस मिश्रण को पशु को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पशु को खिलाएं.
. पहले दिन इसकी एक खुराक हर तीन घंटे पर पशु को दें.
. दूसरे दिन से दूसरे सप्ताह तक दिन में 3 खुराक ही खिलाएं.
. प्रत्येक खुराक ताजा तैयार करें.
उपचार 02 : मवेशियों के घाव पर लगाए जाने वाला मिश्रण भी तैयार कर सकते हैं, जिससे मवेशी को थोड़ी रहत मिलेगी. इससे रेडी करने के लिए आपको कुम्पी का पत्ता, लहसुन , नीम का पत्ता, मेहंदी का पत्ता, नारियल या तिल का तेज, हल्दी पाउडर और तुलसी के पत्ते चाहिए। इन सब को मिल कर पेस्ट तैयार करें और उसमे गरम नारियल या तिल का तेज मिलाये, मिश्रण ठंडा होने पर इसे सीधे घाव पर लगाएं.
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