चाईबासा पहुंचे अमित शाह ने हेमंत सरकार के निर्णयों पर दागे तीखे सवाल, कहा- सरकार ने आदिवासियों को हर कोण से साधने का किया प्रयास


धनबाद (DHANBAD) : आप मेरे वोटर ही नहीं, भाई भी हैं. भाजपा गांव से लेकर दिल्ली के राष्ट्रपति भवन तक आदिवासियों का सम्मान सुनिश्चित करती है. आपके संसाधनों पर सिर्फ आपका अधिकार होगा. यह कहना है झारखंड में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का. अमित शाह के हर शब्दों के राजनीतिक मायने और मतलब थे. उन्होंने झारखंड में सरकार के भविष्य का भी खाका लगभग खींच दिया. साफ तो कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों इशारों में सब कुछ कह दिया, जो आगे हो सकता है. उनका यह कहना कि बाबूलाल मरांडी कह रहे हैं कि इस सरकार यानी हेमंत सरकार को बदल दें, लेकिन लोकतंत्र में जनता ही सरकार बदलेगी, मतलब है कि भाजपा जोड़-तोड़ से सरकार बनाने से परहेज करेगी. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि चुनाव आयोग के मंतव्य पर राज्यपाल का जो भी फैसला आए, यूपीए सरकार जोड़-तोड़ कर सरकार नहीं बदलेगी. वैसे भी कोई विषम परिस्थिति बनती है और नेतृत्व परिवर्तन जैसी नौबत आती है तो यह फैसला भी करना हेमंत सोरेन के हाथ में ही है, क्योंकि ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए पेश होने से पहले यूपीए की बैठक में उन्हें उत्तराधिकारी चुनने के लिए अधिकृत किया जा चुका है.
1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधित मुद्दा
1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधित विधेयक पर केंद्र सरकार का क्या रुख हो सकता है. इसका भी अमित शाह के दौरे से बहुत कुछ पता चलता है. हेमंत सरकार ने विधानसभा से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधित विधेयक पारित कराकर राज्यपाल को भेजा है ताकि राज्यपाल अपनी सहमति देकर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेज दें. संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि नौवीं अनुसूची में शामिल होने पर इस विधेयक को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी और झारखंड में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित हो जाएंगी. झारखंड में गठबंधन की सरकार राज्यपाल पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है कि राज्यपाल अपने मंतव्य के साथ इसे केंद्र सरकार को भेज दें. अगर केंद्र सरकार स्वीकृत नहीं करती है तो इसका ठीकरा भाजपा पर फोड़ा जा सके. इधर, केंद्रीय मंत्री का कहना कि झारखंड सरकार कह रही है कि 1932 आधारित नीति पर नौकरी देगी लेकिन कोल्हान में अंतिम सर्वे 1964 में हुआ है, तो अगर झारखंड सरकार 1932 के आधार पर नौकरी देगी तो फिर कोल्हान के लोगों का क्या होगा. मतलब साफ है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने झारखंड सरकार के निर्णय को घेरने का प्रयास किया. इसके साथ ही वे 2024 के चुनाव की जमीन भी तैयार कर गए. अमित शाह ने हेमंत सरकार पर घुसपैठियो पर वोट बैंक के लिए तुष्टीकरण का आरोप भी लगाया. हाल के दिनों में संथाल परगना में हुई वारदातों का जिक्र करते हुए जनजातीय महिलाओं की सुरक्षा, शादी कर आदिवासी जमीन पर कब्जे का मुद्दा भी उठाया. कहा जा सकता है कि अमित शाह अपने झारखंड दौरे में आदिवासियों की भावनाओं को उभारने की कोशिश की. देखना है इसके लिए उन्होंने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को क्या निर्देश देकर गए हैं. लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि झारखंड में अब जोड़-तोड़ से सरकार नहीं बदलेगी. लेकिन यह राजनीति है, राजनीति करने वालों के पेट में दांत होता है, कहते कुछ और है और होता कुछ और है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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